READ MORE: ये हाईवे हैं पैंथर की मौत के सौदागर, 26 महीने में हुई 38 पैंथर की मौत ऐसी स्थिति गिर्वा तहसील के भैसड़ाखुर्द में लाडियाखेड़ा गांव की है। यहां उच्च प्राथमिक विद्यालय है और इसके बाद की पढ़ाई के लिए 6 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत मुख्यालय जाना पड़ता है। ऐसे में गांव की ज्यादातर बालिकाएं पढ़ाई छोड़ देती है।
ऐसी ही स्थिति बालकों की भी है। पांच-दस फीसदी बालक ही पढऩे को बाहर जा पाते हैं। वर्ष 1978 में यहां विद्यालय की स्थापना हुई थी। वर्ष 2004 में विद्यालय प्राथमिक से उच्च प्राथमिक में क्रमोन्नत हुआ था। तब से लेकर अब तक करीब 12 सालों में महज एक बालिका ने गांव से निकलकर 10वीं तक पढ़ाई की। गांव की अधिकांश बालिकाएं आठवीं तक पढ़ाई के बाद बकरियां चराने, जंगल से लकडिय़ां लाने के काम में जुट जाती है।
READ MORE: मौसम@ उदयपुर: तेज हवाओं ने उड़न छू किया ठण्ड को, होने लगा गर्मी का एहसास, जानें क्या है आने वाले मौसम के आसार जागरूकता नहीं है – अध्यापिका यशवन्त मकवाना ने बताया कि ग्रामीण बालिकाओं को पढऩे बाहर नहीं भेजते। अधिकांश बालिकाओं का विवाह करवा कर पढ़ाई से दूर कर दिया जाता है।
– वार्डपंच मदन गमेती ने बताया कि विद्यालय को माध्यमिक में क्रमोन्नत के लिए कई बार प्रयास किए, लेकिन सुनवाई नहीं होती। मांग बीते कई सालों से जारी है। – सरपंच निर्मला नागदा का कहना है कि स्कूल क्रमोन्नत के लिए कई बार लिखा। विधायक ने आश्वासन ही दिया, लेकिन इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई।