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आखिर क्यों यहां कोई लड़की 10वीं तक भी नहीं पढ़ती, क्यों छिन जाती है इनके हाथों से किताबें, पढ़ें पूरी खबर

सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चल रही है, लेकिन कुछ गांव ऐसे भी हैं, जहां शिक्षा का अभाव है। बेटियां 8वीं के बाद बाहरी स्कूलों में जाने के बजाय पढ़ाई छोड़ देती है।

सीकरFeb 22, 2017 / 10:05 am

jyoti Jain

सरकार शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं चल रही है, लेकिन कुछ गांव ऐसे भी हैं, जहां शिक्षा का अभाव है। बेटियां 8वीं के बाद बाहरी स्कूलों में जाने के बजाय पढ़ाई छोड़ देती है। जागरुकता के अभाव में न ग्रामीण बेटियों को पूरी शिक्षा दे पा रहे हैं और ना ही प्रशासन का इस दिशा में ध्यान है। स्थिति ये है कि उच्च प्राथमिक विद्यालय के क्रमोन्नत होने के 12 साल के दरमियान महज एक बालिका ने गांव से निकल कर 10वीं तक पढ़ाई की।
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ऐसी स्थिति गिर्वा तहसील के भैसड़ाखुर्द में लाडियाखेड़ा गांव की है। यहां उच्च प्राथमिक विद्यालय है और इसके बाद की पढ़ाई के लिए 6 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम पंचायत मुख्यालय जाना पड़ता है। ऐसे में गांव की ज्यादातर बालिकाएं पढ़ाई छोड़ देती है।
ऐसी ही स्थिति बालकों की भी है। पांच-दस फीसदी बालक ही पढऩे को बाहर जा पाते हैं। वर्ष 1978 में यहां विद्यालय की स्थापना हुई थी। वर्ष 2004 में विद्यालय प्राथमिक से उच्च प्राथमिक में क्रमोन्नत हुआ था। तब से लेकर अब तक करीब 12 सालों में महज एक बालिका ने गांव से निकलकर 10वीं तक पढ़ाई की। गांव की अधिकांश बालिकाएं आठवीं तक पढ़ाई के बाद बकरियां चराने, जंगल से लकडिय़ां लाने के काम में जुट जाती है।
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जागरूकता नहीं है

– अध्यापिका यशवन्त मकवाना ने बताया कि ग्रामीण बालिकाओं को पढऩे बाहर नहीं भेजते। अधिकांश बालिकाओं का विवाह करवा कर पढ़ाई से दूर कर दिया जाता है।
– वार्डपंच मदन गमेती ने बताया कि विद्यालय को माध्यमिक में क्रमोन्नत के लिए कई बार प्रयास किए, लेकिन सुनवाई नहीं होती। मांग बीते कई सालों से जारी है।

– सरपंच निर्मला नागदा का कहना है कि स्कूल क्रमोन्नत के लिए कई बार लिखा। विधायक ने आश्वासन ही दिया, लेकिन इस दिशा में कोई प्रगति नहीं हुई। 

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