ऐसा चलता था खेल उद्यान विभाग की योजना में भौतिक सत्यापन के बाद अनुदान देने का प्रावधान है। लेकिन कई बार संयंत्र लगाने वाले कई डीलर बिना रसीद दिए ही किसान के हिस्से की राशि ले लेते हैं। अधिकारियों की माने तो कई मामलों में किसान की अज्ञानता व उद्यान विभाग की अनदेखी का फायदा उठाते हुए डीलर भौतिक सत्यापन तक गलत कराते हैं। डीलर सत्यापन के दौरान संयंत्र का संबंधित सामान तो किसान के खेत में रख देते हैं। सत्यापन करवा कर अनुदान का पैसा उठा लेते हैं। बाद में निगरानी नहीं होने से किसान की सहमति से खेत में रखी सामग्री वापस उठा लेते हैं। ऐसे में किसान को योजना का पूरा लाभ नहीं मिलता है।
अब ऐसे मिलेगी राहत
उद्यान विभाग की सिंचाई योजना के तहत ड्रिप संयंत्र व मिनी फव्वारा का अनुदान व योजना के तहत मिलने वाले संयंत्र सही मात्रा में पहुंचे। इसके लिए किसान को हिस्सा देनी होती है। इस हिस्सा राशि के जमा होने के बाद भौतिक सत्यापन सुपरवाइजर से लेकर संयुक्त निदेशक स्तर के अधिकारियों करेंगे। प्रत्येक छह माह में संयंत्र का सत्यापन किया जाएगा। एस्टीमेट व बिल केवल कम्पनी की ओर से देने पर ही मान्य किए जाएंगे। संयंत्र की डिजाइन पर इंजीनियर ही हस्ताक्षर करेगा। संयंत्र लगाने के बाद मरम्मत सेवा नहीं देने पर कम्पनी पर कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
किसानों को फायदा कृषक हिस्सा राशि जमा होने की रसीद की अनिवार्यता होने से योजना के तहत किसानों के साथ होने वाले धोखाधडी के मामले को काफी हद तक थम जाएंगे। डीलर की बजाए कम्पनी की सीधी जिम्मेदारी होने के कारण पात्र किसान ही लाभान्वित होंगे।
बनवारी लाल, सहायक निदेशक उद्यान विभाग, सीकर