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सीकर

महंगाई भत्ते पर सरकार बेपरवाह, कर्मचारियों में रोष

सरकार के चहेते करोड़ों अरबों रुपए के घोटाले कर विदेशों में भाग रहे है

सीकरDec 02, 2019 / 06:02 pm

Suresh

महंगाई भत्ते पर सरकार बेपरवाह, कर्मचारियों में रोष

महंगाई भत्ते पर सरकार बेपरवाह, कर्मचारियों में रोष

सीकर. देश में भ्रष्टाचार के बड़े-बड़े कीर्तिमान स्थापित किए जा रहे है, सरकार के चहेते करोड़ों अरबों रुपए के घोटाले कर विदेशों में भाग रहे है। लेकिन जिस कर्मचारी वर्ग से सरकार की तमाम योजनाएं धरातल पर लागू होती है। उन्हीं कर्मचारियों के सामने सरकार बजट की कमी का रोना रोती है, पिछले पांच छह महीने से सरकार ने कर्मचारियों के वेतन के अलावा हर तरह के भुगतान पर अघोषित-सी रोक लगा रखी है।
अपने पैसों के लिए कार्यालयों में चक्कर
कई अन्य भुगतान रोक-रोक कर किए जा रहे है। जिससे कर्मचारियों को अपने ही पैसों के लिए कार्यालयों के चक्कर लगाने पड़ते है, इसके साथ ही कर्मचारी संगठनों के साथ पूर्व मे समझौता हुआ था कि राज्य के कर्मचारियों को केंद्र के समान वेतन भत्ते मिलेंगे।
केंद्र सरकार वर्ष में दो बार (जनवरी व जुलाई) मंहगाई भत्ता बढ़ाने की घोषणा करती है। और अपने कर्मचारियों को बढ़ा हुआ मंहगाई भत्ता देती हैं। केंद्र की घोषणा के साथ ही राज्य सरकार भी अपने कर्मचारियों को केंद्र के समान ही मंहगाई भत्ता देने की घोषणा करती है। जुलाई १९ से पूर्व कर्मचारियों को १२ प्रतिशत मंहगाई भत्ते को ५ प्रतिशत वृद्धि की घोषणा की। जिससे मंहगाई भत्ता १७ प्रतिशत हो गया।
चार माह बीत गए नहीं मिला भत्ता
केंद्र सरकार ने अपने कर्मचारियों को मंहगाई भत्ते का भुगतान भी कर दिया है। लेकिन चार माह बीत जाने के पश्चात भी राज्य सरकार ने बढ़े हुए मंहगाई भत्ते की घोषणा नहीं की है। केंद्र सरकार के कर्मचारी १७ प्रतिशत मंहगाई भत्ता ले रहे है। जबकि राज्य के कर्मचारी १२ प्रतिशत मंहगाई भत्ता ही ले रहे है। जबकि एक माह बाद जनवरी में दुबारा मंहगाई भत्ता बढऩे का समय आ गया है। कर्मचारियों में सरकार के इस रवैये से काफी नाराजगी है तथा कई प्रकार की आशंकाएं उठ रही है। कर्मचारी संगठनों में आंदोलन की रणनीति बनाने की चर्चाए शुरू हो गई है।
इनका कहना है…
राज्य के हर कार्य को अमलीजामा पहनाने वाले कर्मचारियों के वेतन भत्तों के लिए पैसे की कमी बताई जा रही है, यदि वास्तव में बजट की कमी है, तो सरकार विधायकों, मंत्रियों और ब्यूरोक्रेट्स के शाही खर्चों पर रोक लगाए। अन्यथा संगठन अपने हक की प्राप्ति के लिए आंदोलन का रास्ता तय करेगा।
उपेंद्र शर्मा, प्रदेश महामंत्री, राजस्थान शिक्षक संघ (शेखावत)

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