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परिषद इस समस्या से बारिश में शहर को कैसे बचा पाएगी

locationसीकरPublished: Jun 14, 2019 05:30:23 pm

Submitted by:

Vinod Chauhan

बादल देख बना रहे हैं नाली, कै से निकलेगा पानी
हाल-ए-शिव कॉलोनी: राहत का बस यहां है इंतजार

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परिषद इस समस्या से बारिश में शहर को कैसे बचा पाएगी

सीकर. शहर की शिव कॉलोनी में गंदे पानी से भरे खाली प्लाट परिषद की मानसून पूर्व की तैयारी पर दाग लगा रहे हैं। गंदे पानी से उठती दुर्गंध ने वहां के निवासियों को परेशान कर रखा है।
समस्या के स्थाई समाधान के लिए लोगों ने कई बार मांग उठाई। इस दिशा में कदम तो बढ़े लेकिन मानसून से पूर्व समाधान दिखाई नहीं दे रहा है।
परिषद ने इस क्षेत्र के पानी निकासी के लिए नाली का निर्माण शुरू करवा रखा है, लेकिन लोगों को राहत की उम्मीद कम ही दिखाई दे रही है।
आधे शहर का पानी होता है एकत्रित
शहर के शिव कॉलोनी और उसके पीछे के क्षेत्र में आधे शहर का पानी एकत्र होता है। जानकारों का कहना है फतेहपुर रोड, बकरामंडी, जगमालपुरा और भैरूपुरा क्षेत्र का पानी इसी क्षेत्र में आता है।
यहां पानी को एकत्र कर पंप के माध्यम से बीड़ में भेजा जाता है। वर्तमान में ही वहां पानी का बड़ा ताल बना हुआ है। इसके अलावा कॉलोनी के कई खाली प्लाट भी पानी से भरे हुए हैं।
नहीं बना एसटीपी, अब जेसीबी से बनाएंगे मेड़
नगर परिषद ने अमृत योजना के तहत इस क्षेत्र में एसपीटी का निर्माण कार्य शुरू करवाया था। योजना के तहत यहां एकत्र होने वाले पानी को ट्रीट कर उपयोग किया जाना था। निर्माण की गति देखकर क्षेत्र के लोगों को लगा कि इस मानूसन की बरसात में तो यह राहत देगा। लेकिन अभी तक इसका निर्माण भी पूरा नहीं हो पाया है। परिषद पानी के बहाव को देखते हुए वहां जेसीबी से मेड़ लगाने का प्रयास कर रही है। यह कार्य एक दो दिन में शुरू कर दिया जाएगा। लेकिन मेड़ से जनता को राहत मिलती दिखाई नहीं दे रही है।
आक्रोशित है क्षेत्र के लोग
पानी भराव की समस्या का स्थाई समाधान नहीं होने से क्षेत्र के लोग आक्रोशित है। लोगों का कहना है समस्या के समधान के लिए कई बार धरने प्रदर्शन किए गए। परिषद ने भी बड़े सपने दिखाए, लेकिन विकास के कार्यों का धरातल कमजार है। क्षेत्र के निवासी तोफिक गुरारा व कासम खां का कहना है कि यह क्षेत्र विकास में पिछड़ा हुआ है। गलियों में नालियां तक टूटी हुई है। जगह-जगह पानी भरा रहता है। ऐस में हर समय मौसमी बीमारी फैलने का भी अंदेशा बना रहता है।

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