script15 साल में 10 फीसदी गांवों के भी नहीं बने मास्टर प्लान, अब फिर नया फरमान | In 15 years 10 percent of the villages did not even have a master plan | Patrika News
सीकर

15 साल में 10 फीसदी गांवों के भी नहीं बने मास्टर प्लान, अब फिर नया फरमान

सीकर. पिछले 15 साल से गूंज रहा गांव-ढाणियों के मास्टर प्लान का दावा हर सरकार में झूठा ही साबित हुआ है। इसके पीछे बड़ी वजह सरकारी विभागों में तालमेल का अभाव है।

सीकरMay 14, 2021 / 02:22 pm

Sachin

15 साल में 10 फीसदी गांवों के भी नहीं बने मास्टर प्लान, अब फिर नया फरमान

15 साल में 10 फीसदी गांवों के भी नहीं बने मास्टर प्लान, अब फिर नया फरमान

सीकर. पिछले 15 साल से गूंज रहा गांव-ढाणियों के मास्टर प्लान का दावा हर सरकार में झूठा ही साबित हुआ है। इसके पीछे बड़ी वजह सरकारी विभागों में तालमेल का अभाव है। पिछले 15 साल में ग्राम पंचायतों के मास्टर प्लान को लेकर 30 से अधिक आदेश जारी हुए, लेकिन दस फीसदी ग्राम पंचायतों के मास्टर प्लान नहीं बन सके। सरकार की ओर से दो बार गांवों की सरकार को 50-50 हजार रुपए बजट भी दिया गया। ज्यादातर जिला परिषद इस बजट का उपयोग ही नहीं कर सकी। अब सरकार ने फिर से प्रदेश की दस हजार से अधिक आबादी वाली ग्राम पंचायतों के मास्टर प्लान बनाने के फरमान दिए हैं। पिछली सरकार के समय भी हर ग्राम पंचायत में मास्टर प्लान के लिए कमेटी बनाई थी। यह कमेटी भी कागजों में दफन हो गई।


अब पहले चरण में 120 ग्राम पंचायतों के प्लान होंगे तैयार

सालों बाद भी सभी पंचायतों के मास्टर प्लान नहीं बनने पर सरकार ने अब यूटर्न लिया है। सरकार की ओर से अब प्रदेश की दस हजार से अधिक आबादी वाली 120 ग्राम पंचायतों के मास्टर प्लान बनाने का दावा किया गया है। अगले चरण में दस हजार से कम आबादी वाली ग्राम पंचायतों को इस योजना में शामिल किया जाएगा।

30 साल की आवश्यकता के आधार पर नक्शा
सभी ग्राम पंचायतों की आगामी 30 वर्ष की आवश्यकताओं के आधार पर मास्टर प्लान बनाया जाएगा। मास्टर प्लान में पहले गांव में मौजूद सुविधाओं को चिन्हित किया जाएगा। इसके बाद भविष्य की आवश्यकताओं के हिसाब से अस्पताल, स्कूल, कॉलेज, सामुदायिक पार्क, पशु कल्याण केंद्र, कब्रिस्तान, श्मशान, बस स्टैण्ड, बाजार व मंडी सहित अन्य सुविधा क्षेत्रों के लिए जगह तय की जाएगी।


मिनी सचिवालय की तर्ज पर गांव में मिले सुविधाएं

फिलहाल कई ग्राम पंचायत क्षेत्रों में राजीव गांधी सेवा केन्द्र कहीं तो पंचायत भवन में तो कहीं और जगह संचालित हो रहे हैं। जिस भी सरकारी कार्यालय के लिए जमीन की आवश्यकता हुई वहां आवंटित कर दी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी कार्यालय मनमर्जी से बन गए। अब सरकार की मंशा है कि मिनी सचिवालय की तर्ज पर गांवों का विकास हो। जहां एक ही परिसर में ग्रामीणों को सभी सुविधाएं मिल सके।

एक्सपर्ट व्यू: सिस्टम में तालमेल से अटका प्रोजेक्ट
ग्राम पंचायतों का मास्टर प्लान बनाने की कवायद 15-20 वर्ष से चल रही है। कई जगह मास्टर प्लान बने भी लेकिन उनका अनुमोदन नहीं हो सका। मास्टर प्लान में स्थानीय ग्राम पंचायत से लेकर राजस्व विभाग व जनप्रतिनिधियों का अहम रोल रहता है, लेेकिन सरकारी सिस्टम में तालमेल नहीं होने से यह योजना फाइलों में ही दफन हो गई। विजन अच्छा है, लेकिन इसे सकारात्मक सोच के साथ आगे बढ़ाना होगा।

जीएल कटारिया, सेवानिवृत्त एसीईओ

बड़ा सच: ग्रामसेवक व पटवारी ही नहीं
प्रदेश की 15 फीसदी से अधिक ग्राम पंचायतों में पटवारी व ग्रामसेवकों के पद रिक्त हैं। कई स्थानों पर एक के भरोसे तीन पंचायत चल रही है। इसलिए सरकार की यह योजना हर बार कागजों में दफन होकर रह जाती है। पंचायतीराज विभाग से जुड़े एक्सपर्ट का कहना है कि सरकार को निजी कंपनियों का भी इस प्रोजेक्ट में सहयोग लेना चाहिए।

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