ऐसे समझें एक साल में महंगाई का ग्राफ:
1. पेट्रोल-डीजल: 77 से 103 पर पहुंचा पेट्रोललगातार बढ़ते पेट्रोल व डीजल के दामों ने आम आदमी का तेल निकाल दिया है। पेट्रोल व डीजल के दामों में बढ़ोतरी से ट्रांसपोर्ट भी महंगा हो गया है। इस वजह से भी महंगाई का ग्राफ लगातार बढ़ता जा रहा है। पिछले साल अप्रेल के महीने में जहां पेट्रोल के भाव 77.42 रुपए प्रति लीटर व डीजल के भाव 70.48 रुपए लीटर थे। लेकिन अब पेट्रोल व डीजल के दाम बढ़कर 103.8 व 96.23 रुपए प्रति लीटर तक पहुंच गए है। सीकर पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के महासचिव अरुण फागलवा का कहना है कि केन्द्र व राज्य दोनों सरकार टैक्स स्लैब में बदलाव कर कटौती करें तो जनता को राहत मिल सकती है।
पिछले एक साल में सरसो, सोयाबीन सहित अन्य तेल के दामों में 20 फीसदी से अधिक की बढ़ोतरी हुई है। व्यापारी प्रभू खंडेलवाल का कहना है कि पिछले साल सरसों के तेल की कीमत औसत 120 रुपए थी। दीवाली के सीजन में यह दर बढ़कर 135 रुपए तक पहुंच गई। अब सरसों के तेल की कीमत बढ़ते-बढ़ते 165 से 180 रुपए लीटर तक पहुंच चुकी है। उन्होंने बताया कि वनस्पति तेल, सोयाबीन तेल सहित अन्य तेलों के दामों में भी पिछले साल के मुकाबले बढ़ोतरी हुई है।
पिछले लॉकडाउन के मुकाबले दालों के दामों मेंं भी काफी बढ़ोतरी हुई है। इस वजह से गरीब व्यक्ति की थाली से दालों का सोशल डिस्टेंस जारी है। एक्सपर्ट का कहना है कि चना दाल पिछले लॉकडाउन में 60 से 65 रुपए किलो थी। लेकिन अब इसकी दर बढ़कर 75 से 80 रुपए किलो तक पहुंच गई है। इसी तरह अरहर दाल 85-90 रुपए प्रति किलो से 95 से 100 रुपए किलो तक पहुंच गई है। मूंग दाल, मसूर दाल व उडद की दालों के भावों में भी इजाफा हुआ है।
बिगड़ गया बजट:बिहारी मार्ग वार्ड नं 23 की निवासी सपना सिहोटीया का कहना है कि महंगाई ने आम घरों का बजट पूरी तरह बिगाड़ दिया है। पहले जिन घरों में एक महीने का राशन पांच हजार रुपए तक आ रहा था उसी राशन की कीमत अब बढ़कर सात से साढ़े हजार रुपए तक पहुंच गई है। जनता ने वोट भाजपा व कांग्रेस दोनों दलों को दिए है इसलिए राहत की जिम्मेदारी भी इन दोनों दलों की बनती है।
फलों के थोक विक्रेता मुन्ना राजा का कहना है कि पेट्रोल व डीजल की दर बढऩे की वजह से 30 फीसदी तक का खर्चा बढ़ गया है। उनका कहना है कि डीजल की दरों में बढ़ोतरी का असर सीधे तौर पर फल व सब्जियों पर भी आ रहा है।
बढ़ती मंहगाई के लिए सीधे तौर पर केन्द्र सरकार जिम्मेदार है। केन्द्र सरकार ने पिछले सात साल में 12 बार एक्साईज ड्यूटी बढ़ा दी। इससे पेट्रोल व डीजल के दाम आसमान छू रहे है। राजस्थान सरकार ने तो अपने क्षेत्राधिकार के टैक्सों में कटौती की है। गैस सिलेंडर के दाम बढ़ रहे हैं इसके लिए कौन जिम्मेदार है।
अमराराम, किसान नेता