एक माह से कैम्प
देशभर की ये श्याम समितियां फाल्गुनी मेले से काफी पहले से यहां पहुंच जाते हैं और तैयारियों में सहयोग करते हैं। मेले के दौरान लगने वाले पाण्डाल को नियोजित रूप से सजाते हैं। सभी आम सुविधाओं को यहां पूरी करने की कोशिश करते हैं। जबकि इस साल कोरोना के चलते ऐसा संभव नहीं हो सका है।
जमीन के लिए करते जुगत
फाल्गुनी मेले में लगाने वाले पण्डाल के लिए ये श्याम मण्डल या समितियां गांव वालों से जमीन की जुगत में रहते हैं। ग्रामीणों से एक माह के लिए उनकी जमीन किराए पर लेते हैं और भव्य पण्डाल लगाते हैं।
फाल्गुनी मेला ही नहीं हर माह करते हैं रुख
बाबा श्याम की भक्ति में लीन भक्तों के लिए फाल्गुनी लक्खी मेला सबसे अहम होता है लेकिन प्रति माह पडऩे वाली ग्यारस पर भरने वाले मेले में भी उनका चाव रहता है। लोग दूर-दूर से पूर्व तय कार्यक्रम से यहां पहुंचने का प्रयास करते हैं।
सेवा से जी नहीं भरता
यहां महीनेभर तक सेवा करने वाले लोग कहते हैं कि उनका यहां मेले के दौरान सेवा से जी नहीं भरता है। मेले की शुरुआत से अंत तक लोग ज्यादा से ज्यादा सेवा करने की जुगत में ही रहते हैं।
सेवा मेले का मुख्य आकर्षण
खाटूश्यामजी मेले का आकर्षण यहां होने वाली मानव सेवा भी है। बड़े से बड़े प्रतिष्ठित लोग आम बन लोगों की सेवा करते हैं। बाबा श्याम के ये प्रिय लोगों के प्रिय बन पुण्य कमाने की जुगत में रहते हैं। बताते हैं कि मानव सेवा से मन निर्मल होता है भकित में मन रमता है।