पतंग का शौक ऐसा कि 85 लोगों को याद दिला दी मौत !150 पक्षियों को करना पड़ा एडमिट।
देश के सबसे बड़े राज्य से बड़ी खबर।
सीकर•Jan 15, 2020 / 06:53 pm•
Gaurav
पतंग का शौक ऐसा कि 85 लोगों को याद दिला दी मौत !150 पक्षियों को करना पड़ा एडमिट।
सीकर. जिले में मकर संक्रान्ति पर मंगलवार को आकाश में उड़ी पतंग की डोर मासूम और निरीह पक्षियों आफत बन कर आई। मांझे ने पतंग के साथ गगन में उड़ रहे पक्षियों के लिए काल साबित हुई। जिले में इस बार के बीच मांझे की चपेट में आने से 150 पक्षी घायल हुए हैं, इनमे से दो पक्षियों की मौत हो गई। मांझे से घायल होने वाले पक्षियों में कबूतर, तोता, कौआ आदि शामिल हैं। इन घायल पक्षियों को लोग सडक़ों, गलियों और छतों से उठाकर अस्पताल या शिविर में लेकर आए हैं। पॉली क्लीनिक और तापडिय़ा बगीची पर लगे शिविर में कई घायल पक्षी पहुंचे।
छिन गई परिंदों की आजादी
तापडिय़ा बगीची के पास लगे शिविर में आए दो पक्षियों ने दम तोड़ दिया। मांझे की चपेट में आने वाले पक्षियों का बच पाना काफी मुश्किल होता है, क्योंकि मांझे से कटने के कारण उनके शरीर से खून उस समय तक बहता रहता है जब तक उन्हें इलाज न मिल जाए। उनके पंख कट जाते हैं। कई बार पक्षी ठीक भी हो जाते हैं, लेकिन पंख नहीं होने के कारण वे उड़ नहीं पाते हैं। इस स्थिति में 50 से 55 प्रतिशत पक्षी ही बच पाते हैं।
इन्होंने दी सेवाएं
शिविर में डॉ. रामवतार गोडीवाल, डॉ. प्रदीप जांगीड़, ओम प्रकाश रैगर, नरेंद्र फागणा, सुमन सांखला, सीता राम शर्मा, मनोहर सुरोलीया, दीपक यादव, आदित्य नाथावतपुरा आदि ने सेवाएँ प्रदान की।
85 घायल पहुंचे अस्पताल
मकर संक्रांति पर्व पर मंगलवार को जिले में मांझे से कटने के कारण 85 से ज्यादा लोग घायल हो गए। कल्याण अस्पताल के ट्रोमा सेंटर पर मांझे के कट लगने से 32 घायल पहुंचे। इनमें से रानोली से एक युवक जीतराम को भर्ती किया गया। जिसे शाम को छुट्टी दे दी गई। इनमें अधिकांश बाइक सवार थे जिनके आंख, नाक और गले पर कट लगे। अधिकांश लोग उपचार के बाद कई घायल तो घर चले गए।
इनमें मांझे से कान कटने और छत से गिरने वाले लोग शामिल हैं। कई लोगों की अंगुलियां में गहरे जख्म हो गए। वहीं जिले के कई निजी अस्पतालों में भी पतंगबाजी से चोटिल होकर कई लोग पहुंचे। दोपहर के समय तो हाल यह हो गया कि ट्रोमा सेंटर में मांझे से कटने वाले लोगों की कतारें लग गई। मांझे से कटने वाले घायलों के कट पर टांके लगाने के लिए सुबह नौ से रात करीब साढ़े पांच बजे तक सूचर्स के नौ डिब्बे खत्म हो गए। वहीं पट्टियों के दर्जनो रोल खत्म हुए।