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मेडिकल की तैयारी के दौरान अपने सहपाठी की कर दी थी हत्या, अब सात साल बाद कोर्ट ने दी आजीवन कारावास की सजा

मेडिकल परीक्षा की तैयारी के दौरान सहपाठी छात्र की हत्या के बाद चिकित्सक बने आरोपी को न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है।

सीकरDec 21, 2019 / 05:47 pm

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Punishment for 10 months 23 days for a man who hides sandal in slippers

सीकर. मेडिकल परीक्षा की तैयारी के दौरान सहपाठी छात्र की हत्या के बाद चिकित्सक बने आरोपी को न्यायालय ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। अपर सेशन न्यायाधीश संख्या तीन यशवंत भारद्वाज ने सीकर के एक छात्रावास में सात वर्ष पहले हुई हत्या के मामले में शुक्रवार को फैसला सुनाया। आरोपी चिकित्सक झुंझुनूं जिले के चिड़ावा कस्बे के वार्ड सात का निवासी मोईन खां है। मोईन २०१२ में सीकर के एक कोचिंग संस्थान में मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहा था। वह यहां पर एक छात्रावास में रहता था। छात्रावास में वर्ष २०१२ में २९ मार्च को दिन में गंगानगर निवासी छात्र वीरेन्द्र सिंह की गला घोंटकर हत्या कर दी गई थी। इस पर वीरेंद्र के पिता हरजिंद्रपाल सिंह ने सदर थाने में मामला दर्ज करवाया था। पुलिस ने जांच के बाद हत्या के आरोप में सहपाठी मोईन खां को गिरफ्तार कर न्यायालय में चालान पेश कर दिया। मोईन की बाद में जमानत हो गई और मेडिकल की परीक्षा पास कर चिकित्सक बन गया। इसके बाद नूनिया पीएचसी में चिकित्सक नियुक्त हो गया।
प्रत्यक्षदर्शी गवाह पक्षद्रोही

मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से १६ गवाहों के बयान करवाए गए। साथ ही १८ दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए गए। खास बात यह रही कि पुलिस ने जिन्हें हत्या का प्रत्यक्षदर्शी गवाह माना था, वे न्यायालय में पक्षद्रोही हो गए। इस पर न्यायाधीश ने फैसले में कहा कि गवाहों के पक्षद्रोही होने से प्रकरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता। यह नहीं माना जा सकता कि छात्रावास में लड़ाई-झगड़े की घटना हो रही हो और किसी ने भी इसे नहीं देखा हो।
मौके से भागना सजा का प्रमुख आधार

इस मामले में आरोपी चिकित्सक को सजा का प्रमुख कारण मौके से भागना रहा। वारदात के बाद मोईन छात्रावास से भाग गया था। गवाहों ने भी न्यायालय में यह बात स्वीकार की। न्यायाधीश ने कहा कि घटनास्थल से मोईन ही क्यों भागा। विधि शास्त्र का सिद्धांत है कि अपराधी अपराध करने के बाद अपने आप को बचाने का प्रयास करता है। एेसा ही मोईन खां ने किया है।
ग्लानी ना पश्चाताप

दोष साबित होने के बाद भी चिकित्सक मोइन खां के चेहरे और व्यवहार में किसी तरह की ग्लानी और पश्चापात दिखाई नहीं दिया। इस पर न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी ने हत्या जैसा जघन्य अपराध किया है। मृतक के वृद्ध माता-पिता की आहतता और भावनाओं के मद्देनजर रखते हुए एवं अभियुक्त को सुनने के दौरान किसी प्रकार का पश्चाताप या ग्लानिकारी स्थिति उसके व्यवहार में दर्शित नहीं हो रही है। एेसे में अभियुक्त किसी प्रकार की नरमी का हकदार प्रतीत नहीं होता है।

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