प्रत्यक्षदर्शी गवाह पक्षद्रोही मामले में अभियोजन पक्ष की ओर से १६ गवाहों के बयान करवाए गए। साथ ही १८ दस्तावेजी साक्ष्य पेश किए गए। खास बात यह रही कि पुलिस ने जिन्हें हत्या का प्रत्यक्षदर्शी गवाह माना था, वे न्यायालय में पक्षद्रोही हो गए। इस पर न्यायाधीश ने फैसले में कहा कि गवाहों के पक्षद्रोही होने से प्रकरण पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ता। यह नहीं माना जा सकता कि छात्रावास में लड़ाई-झगड़े की घटना हो रही हो और किसी ने भी इसे नहीं देखा हो।
मौके से भागना सजा का प्रमुख आधार इस मामले में आरोपी चिकित्सक को सजा का प्रमुख कारण मौके से भागना रहा। वारदात के बाद मोईन छात्रावास से भाग गया था। गवाहों ने भी न्यायालय में यह बात स्वीकार की। न्यायाधीश ने कहा कि घटनास्थल से मोईन ही क्यों भागा। विधि शास्त्र का सिद्धांत है कि अपराधी अपराध करने के बाद अपने आप को बचाने का प्रयास करता है। एेसा ही मोईन खां ने किया है।
ग्लानी ना पश्चाताप दोष साबित होने के बाद भी चिकित्सक मोइन खां के चेहरे और व्यवहार में किसी तरह की ग्लानी और पश्चापात दिखाई नहीं दिया। इस पर न्यायाधीश ने कहा कि आरोपी ने हत्या जैसा जघन्य अपराध किया है। मृतक के वृद्ध माता-पिता की आहतता और भावनाओं के मद्देनजर रखते हुए एवं अभियुक्त को सुनने के दौरान किसी प्रकार का पश्चाताप या ग्लानिकारी स्थिति उसके व्यवहार में दर्शित नहीं हो रही है। एेसे में अभियुक्त किसी प्रकार की नरमी का हकदार प्रतीत नहीं होता है।