सीकरPublished: May 08, 2023 12:32:36 pm
Ajay Sharma
अब बैंगलोर में आयोजित प्रतियोगिता में जीते दो पदक
लगातार पदक जीतने पर खेल कोटे नौकरी भी मिली, लेकिन ओलम्पिक में पदक जीतने के लिए संघर्ष जारी
कई बार बढ़ाया धोरों का मान
अजय शर्मा.
यदि मन में कुछ करने का जुनुन हो तो तमाम मुसीबतों को हराकर सफलता का इतिहास रचा जा सकता है। यह साबित कर दिखाया है कूदन निवासी पेरा खिलाड़ी सुमन ढाका ने। वर्ष 2000 में हुए एक हादसे में पैर चोटिल हो गई। इसके बाद लगा कि मानों जिन्दगी खत्म हो गई। लेकिन हार मानने के बजाय आगे बढ़ने के खेलों में नई राहें तलाशना शुरू किया। पैर के पंजे की गहरी चोट के कारण सामान्य चलने में भी असमर्थ हो गई। इसके बाद भी घर पर ही आधे-आधे घंटे अभ्यास शुरू किया। ससुराल में घर का सारा काम निबटा कर खेताें में गाेला व तश्तरी फेंक की तैयारी की। सुमन का कहना है कि शादी के बाद खेलने की शुरुआत करने पर उसे काफी मशक्कत करनी पड़ी। कई लोगों की ओर से पहले खेलों में आगे बढ़ने पर ताने मारकर मजाक बनाया जाता। लेकिन जब लगातार पदक जीते तो उनको भी हौसला बढ़ाने के लिए आगे आना पड़ा। शनिवार को ढाका ने बैंगलोर में आयोजित पांचवी अन्तराष्ट्रीय पेरा प्रतियोगिता के शॉटपुट में रजत व डिस्क्रस थ्रो में कांस्य पदक पदक जीतकर राजस्थान का मान बढ़ाया है। उन्हाेंने अपने कॅरियर की शुरूआत भी वर्ष 2003 में बैंगलोर स्टेडियम से ही की थी। सुमन का लक्ष्य पैरा ओलंपिक खेलों में देश के लिए गोल्ड मेडल लाना है।