ब्लैक में बिकेगा यूरिया! मांग के अनुसार आपूर्ति नहीं होने से रबी सीजन में समितियों के पास यूरिया का टोटा रहने का अनुमान है। एेसे में किसानों को डीएपी की तरह यूरिया भी महंगे दामों में खरीदनी पड़ेगी। शहरों में तो स्थिति ठीक है लेकिन कस्बों में किसानों को बिना उर्वरक लिए मायूस लौटना पड़ेगा। रही सही कसर उर्वरक की बिक्री पॉश मशीन के जरिए होने से हो जाएगी। जिले की सभी जीएसएस पर लाइसेंस
मांग से कोसों दूर जिले में इस बार चार लाख 90 हजार हैक्टेयर में रबी की बुवाई का अनुमान है। इसके लिए करीब 25 हजार 100 मीट्रिक टन उर्वरक की आवश्यकता है। लेकिन क्रय-विक्रय सहकारी समितियों के पास मांग के अनुसार उर्वरक की उपलब्धता नही है। नहीं होने से भी परेशानी बढ़ेगी।
हरलाल आइआइटी रुडक़ी में पढ़ेंगे शोधपत्र सीकर. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रुडक़ी के हाइड्रोलॉजी विभाग में हो रही आठवीं अंतरराष्ट्रीय ग्राउंड वाटर कांफ्रेंस में बेरी निवासी हरलाल सिंह च्वेल्स एंड जोहड़स ऑफ़ शेखावाटी रीजन द बिग्गेस्ट इन्जेस्क्टेड सीरिंज एंड सीवरेज लिंक ऑफ़ ग्राउंड वाटर रिचार्ज फ्रॉम रेनवाटर नामक शोध पेपर प्रस्तुत करेंगे।