scriptमिसाल: पर्यावरण को बचाने का मैसेज देकर दूल्हा-दुल्हन ने मंदिर में लिए फेरे | bride and groom walked into the temple giving a message | Patrika News
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मिसाल: पर्यावरण को बचाने का मैसेज देकर दूल्हा-दुल्हन ने मंदिर में लिए फेरे

शादी का नाम सुनते ही यूं तो हर किसी के मन में इच्छाओं को पूरी करने के लिए भावनाएं उठने लगती है। युवा सपनों को संजो कर रखते है और विवाह के दौरान उन्हें पूरा करने का प्रयास करते है।

सीकरNov 09, 2019 / 07:11 pm

Vikram

Love marriage

मर्जी से शादी

सीकर. शादी का नाम सुनते ही यूं तो हर किसी के मन में इच्छाओं को पूरी करने के लिए भावनाएं उठने लगती है। युवा सपनों को संजो कर रखते है और विवाह के दौरान उन्हें पूरा करने का प्रयास करते है। एेसे में देवउठनी एकादशी पर शुक्रवार को एक शादी सरलता और सादगी से सराबोर रही। इस अनोखी शादी की सभी जगह पर चर्चाएं रही। शादी में ना तो बैंड- बाजों का लवाजमा था और ना ही दहेज का लालच। विवाह स्थल, साजो- सज्जा और खाने पर भी खर्च नहीं हुआ। वर और वधु पक्ष ने शादी समारोह से पहले ही बिना दहेज और बिना किसी खर्चे के शादी कराए जाने की बात पर सहमति जताई। दो परिवारों मिलन के साथ ही समाज ने सभी रस्मों को अदा कर विवाह सम्पन्न कराया। समाज को संदेश देती यह शादी पिपराली में मां अन्नपूर्णा मंदिर में हुई। जिसमें खाकोली निवासी दूल्हा भरत सिंह और भरणाई गांव निवासी दुल्हन रेणु कंवर धन की बजाय भावनाओं के बंधन में बंधे। शादी में प्रीति भोज की जगह मेहमानों को प्रसाद देना और मां अन्नपूर्णा के जयकारों के बीच वधु को वर के साथ विदा करना भी नजीर बन गया।


21 हजार में हुई प्लास्टिक मुक्त शादी
शादी में बैंड-बाजा, पटाखे, आतिशबाजी, प्रीतिभोज, मंहगे कपड़े, गाडि़यांें पर खर्च नही किया गया। अमूमन साधारण शादियों में जहां लाखों रुपए खर्च हो जाते हैं, वहीं इस अनूठी शादी में महज २१ हजार रुपए खर्च हुए। जिसमें पंडित की दक्षिणा, मेहमानों का नाश्ता और हर छोटा- बड़ा खर्च शामिल रहा। दोनों पक्ष की ओर से शादी में महज २५ लोग शामिल हुए। जिन्होंने गोधुली वेला में सात फेरे लेने वाले वर- वधु को आशीर्वाद दिया। शादी में प्लास्टिक मुक्त भारत अभियान का संदेश भी दिया गया। शादी में सिंगल यूज प्लास्टिक का कहीं भी उपयोग नहीं किया गया।


समाज की पहल पर बढ़ी बात
श्रीराजपूत सभा के संगठन मंत्री प्रभू सिंह सेवद ने बताया कि भरत और रेणु शादी के लिए रजामंद थे। लेकिन, दो बेटियों की शादी थोड़े समय पहले ही करने की वजह से रेणु के पिता किशन सिंह शादी रुककर करना चाहते थे। लेकिन, जब दुल्हे भरत और पिता बजरंग सिंह से बात हुई तो वह बिना दहेज के शादी करने को तैयार हो गए। इसके बाद दोनों पक्षों के बीच भगवान के साक्ष्य में बेहद सादगीपूर्ण ढंग के विवाह पर सहमति बनी। शादी में प्रभू सिंह के अलावा श्रीराजपूत समाज की प्रदेश कार्यकारिणी समिति सदस्य राम सिंह और शिक्षक श्रवण सिंह की अहम भूमिका रही।

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