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सीकर

आयुर्वेद पर बढ़ा लोगों का विश्वास, तीन साल में तीन लाख से ज्यादा मरीज बढ़े

कोरोना संक्रमण काल की दूसरी लहर में गंभीर संक्रमितों के इलाज में काफी हद तक कारगर रहे आयुर्वेद के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ता जा रहा है।

सीकरMay 19, 2022 / 02:41 pm

Ajay

आयुर्वेद पर बढ़ा लोगों का विश्वास, तीन साल में तीन लाख से ज्यादा मरीज बढ़े

आयुर्वेद पर बढ़ा लोगों का विश्वास, तीन साल में तीन लाख से ज्यादा मरीज बढ़े

सीकर। कोरोना संक्रमण काल की दूसरी लहर में गंभीर संक्रमितों के इलाज में काफी हद तक कारगर रहे आयुर्वेद के प्रति लोगों का विश्वास बढ़ता जा रहा है। इसकी बानगी है कि कई आयुर्वेद अस्पतालों की ओपीडी संख्या में डेढ से दोगुना तक बढ़ोतरी हुई है। वहीं शरीर की प्रतिरोधकता बढ़ाने वाली आयुर्वेदिक दवाओं की बिक्री में इजाफा हुआ है। जिले की 158 आयुर्वेद अस्पतालों में वर्ष 2017- 18 में ओपीडी में आने वाले मरीजों की संख्या 19,31571 रही। वहीं यह संख्या आयुर्वेद पर विश्वास के कारण वर्ष 2021-22 में बढ़कर 22,44272 पहुंच गई। आयुर्वेद जिला अस्पताल में संचालित कोरोना काल से पहले दो से तीन दर्जन नए मरीज आते थे अब उनकी संख्या डेढ सौ दो सौ तक पहुंच गई। यही नहीं कोरोना काल में संक्रमित हो चुके लोगों ने दवाओं के साइड इफेक्ट से बचने के लिए आयुर्वेद की शरण ली। यही कारण है कि लोगों में दवाइयों के दुष्प्रभाव के चलते नई बीमारियों की आशंका के कारण लोगों का रुझान आयुर्वेद पद्धति के उपचार की तरफ बढ़ रहा है। जिससे अस्पतालों की ओपीडी डेढ से दो गुना तक बढ़ गई। गौरतलब है कि जिले में आयुर्वेद के 166 चिकित्सक, 119 कम्पाउंडर और 62 परिचारक सेवाएं दे रहे हैं।

दवा की बिक्री बढ़ी

आयुर्वेदिक दवाओं के थोक कारोबारी देवकी नंदन पारीक और गिरेन्द्र तोतवानी के अनुसार कोरोना काल से पहले आयुर्वेदिक दवाओं का कारोबार 25 से 30 प्रतिशत तक बढ़ा। यही कारण रहा कि मेडिकल स्टोर पर एलोपैथी के साथ-साथ आयुर्वेदिक दवाओं की रेंज नजर आने लगी। हालांकि आयुर्वेद दवाओं के अपेेक्षाकृत महंगा होने के सेहत के प्रति सजग लोग नियमित रूप से दवाएं लेते हैं। जिले के एक सरकारी अस्पताल में दवाओं के बजट में औसतन करीब 70 प्रतिशत खपत बढ़ी है। वर्ष 2016 में एक अस्पताल में हर माह औसतन 32 हजार रुपए की दवाएं की खपत होती थी वो 2021 में बढ़कर एक लाख रुपए से ज्यादा की हो गई है।

वैक्सीन लगवा चुके ले रहे आयुर्वेद का सहारा

कल्याण अस्पताल में संचालित आयुर्वेद अस्पताल के चििक्त्सा अधिकारी डा मधुसूदन जोशी ने बताया कि कोरोनाकाल के बाद से अस्पताल में 20 से 30 फीसदी मरीजों की संख्या बढ़ी है। जो लोग एलोपैथी दवाओं पर विश्वास करते थे, अब उनका आयुर्वेद की दवाओं पर विश्वास बढ़ा है। कोरोना वेक्सीन लगवा चुके लोग भी रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए दवा ले रहे हैं। कोरोना वायरस से संक्रमित मरीज आयुर्वेदिक और होम्योपैथी दवाओं का सेवन करने लगे थे। प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए काढ़ा पीते थे। इन्हीं वजहों से लोगों का रुझान आयुष चिकित्सा के प्रति बढ़ा है। आयुष विभाग ने भी आयुर्वेद दवाओं पर भरोसा जताया।

इस कारण विश्वास

आयुर्वेदिक पद्धति मानव शरीर में उत्पन्न विकारों को समाप्त करती है। आयुष पद्धति से व्यक्ति के शारीरिक एवं मानसिक सुधार की दिशा में कार्य किया जाता है। यही कारण है कि कोरोना महामारी की स्थिति में आयुर्वेद अधिक कारगर सिद्ध रहा है। यह पद्धति प्रकृति के बीच उपचार करने का माध्यम है। साथ ही यह केवल उपचार पद्धति नहीं है, एक जीवन शैली है। इस पद्धति को अपनाकर व्यक्ति एक स्वस्थ जीवन जी सकता है। कई बार तो ऐसे मरीज आते हैं जिन पर अंग्रेजी दवा काम नहीं कर रही थी, उस समय केवल आयुर्वेद की दवाएं ही रामबाण साबित होती है।

इनका कहना है

जब आयुर्वेद के सहारे लोगों ने कोरोना जैसे संक्रमण से जंग जीती तो अन्य बीमारियों जैसे शुगर, फेफडे के कमजोर होने व मानसिक अवसाद वाले मरीज भी आयुर्वेद दवाओं का उपयोग करने लगे हैं। ऐसे में चिकित्सा विभाग की तर्ज पर आयुर्वेदिक दवाएं निशुल्क हो तो आम आदमी को ज्यादा फायदा होगा।- छीतरमल सैनी, प्रदेशाध्यक्ष अखिल राजस्थान आयुष नर्सेज महासंघ

कोरोना के संक्रमण काल के दौरान एक ओर जहां ऑक्सीजन की कमी, दवाओं की कमी को लेकर सरकार और प्रशासन का पूरा जोर एलोपैथी पद्धति पर था लेकिन इस बीच पुरातन समय से कार्य कर रही आयुर्वेदिक उपचार पद्धति कोरोना संक्रमण के उपचार में अधिक कारगर साबित रही। यही कारण रहा कि मेडिकल स्टोर पर आयुर्वेदिक दवाओं की नई रेंज नजर आने लगी।

– संजीव नेहरा, अध्यक्ष, सीकर जिला केमिस्ट एसोसिएशन

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