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राजस्थान में बढ़े नीट पास विद्यार्थी, चंडीगढ़-दिल्ली अव्वल, मिजोरम सबसे फिसड्डी

अजय शर्मासीकर. डॉक्टरी के सपने संजोने वाले विद्यार्थियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इस साल सरल प्रश्न पत्र और कोरोनाकाल के लॉकडाउन ने युवाओं के डॉक्टरी के अरमानों को पंख लगा दिए हैं।

सीकरOct 19, 2020 / 02:12 pm

Sachin

राजस्थान में बढ़े नीट पास विद्यार्थी, चंडीगढ़-दिल्ली अव्वल, मिजोरम सबसे फिसड्डी

राजस्थान में बढ़े नीट पास विद्यार्थी, चंडीगढ़-दिल्ली अव्वल, मिजोरम सबसे फिसड्डी

सीकर. डॉक्टरी के सपने संजोने वाले विद्यार्थियों की संख्या में लगातार बढ़ोतरी हो रही है। इस साल सरल प्रश्न पत्र और कोरोनाकाल (Corona time) के लॉकडाउन (Lockdown) ने युवाओं के डॉक्टरी के अरमानों को पंख लगा दिए हैं। नीट 2020 (NEET 2020) क्वालिफाई करने के मामले में चंड़ीगढ और दिल्ली के युवाओं ने सभी को पीछे छोड़ दिया है। चंडीगढ़ के 75.64 और दिल्ली के 75.49 फीसदी विद्यार्थी नीट के लिए क्वालिफाई हुए हैं। देश में सबसे फिसड्डी मिजोरम रहा है। यहां के 40.50 फीसदी विद्यार्थी ही सफल हो सके हैं। नीट में राजस्थान के सफल विद्यार्थियों की संख्या भी लगतार बढ़ रही है। पिछले साल जहां राजस्थान के 64 हजार 890 विद्यार्थी क्वालीफाई घोषित हुए थे, वहीं इस साल आंकड़ा बढ़कर 65 हजार 758 पर पहुंच गया है। नीट क्वालिफाई युवाओं को अब काउंसलिंग कलैण्डर का इंतजार है। एक्सपर्ट का कहना है कि पिछले साल के मुकाबले राजस्थान के सरकारी मेडिकल कॉलेजों की कट ऑफ में बढ़ोतरी होने की संभावना है।


आन्ध्रप्रदेश का 12 फीसदी गिरा परिणाम, चंडीगढ़ का दो फीसदी बढ़ा

पिछले साल के मुकाबले परिणाम की बात करें तो आन्ध्रप्रदेश का परिणाम 12 फीसदी तक गिरा है। पिछले साल आन्ध्रप्रदेश के 39039 विद्यार्थी क्वालीफाई हुए थे। जबकि इस साल आंकड़ा घटकर 33 हजार 641 पर पहुंच गया है। चंडीगढ़ व दिल्ली के परिणाम में दो फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी हुई है।

परिणाम में यह रहा फेरबदल
यदि नीट 2020 में कट ऑफ की बात करें तो कई फेरबदल सामने आए हैं। सामान्य वर्ग की कट ऑफ पिछले वर्ष 134 अंक थी, जो इस वर्ष 147 अंक रही। 13 अंक बढ़ गई। ओबीसी, एससी व एसटी वर्ग की कट ऑफ पिछले साल 120 थी, जो इस वर्ष 113 अंक रही। यानी आरक्षित वर्ग की कट ऑफ में 7 अंकों की गिरावट आई।


529 मेडिकल कॉलेजों में मिलेगा प्रवेश

इस साल देश के 529 सरकारी, गैर सरकारी एवं संस्थागत मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस की 75 हजार से अधिक, बीडीएस की 26,949, आयुष की 52,720, 15 एम्स की 1205, दो जिपमेर की 200 एमबीबीएस सीटों व बीवीएस की 525 सीटों सहित कुल 1,56,599 सीटों पर ऑल इंडिया रैंक व स्टेट रैंक की वरीयता के अनुसार प्रवेश मिलेंगे।


कहां के कितने प्रतिशत विद्यार्थी पास
राज्य व केन्द्रशासित — परिणाम प्रतिशत

अंडमान-निकोबार: 50.61
आन्ध्रप्रदेश: 58.63

अरुणाचल प्रदेश: 50.12
असम: 46.74

बिहार: 55.79
चंडीगढ़: 75.64

छत्तीसगढ़: 49.14
दादर व नगर हवेली: 42.92

दमन: 45.43
दिल्ली: 75.49

गोवा: 50.46
गुजरात: 56.18

हरियाणा: 72.90
हिमाचलप्रदेश: 60.04

जम्मू-कश्मीर: 46.83
झारखंड: 62.80

कर्नाटक: 61.56
केरल: 63.94

लक्ष्यदीप: 43.93
मध्यप्रदेश: 48.92

महाराष्ट्र: 40.94
मणिपुर: 59.37

मेघालय: 45.51
मिजोरम: 43.19

नागालैण्ड: 40.50
उड़ीसा: 60.85

पांडिचेरी: 52.79
पंजाब: 65.35

राजस्थान: 68.68
सिक्किम: 48.77

तमिलनाड़ू: 57.44
तेलंगाना: 55.75

त्रिपुरा: 49.15
उत्तरप्रदेश: 56.62

उत्तराखंड: 60.79
पश्चिम बंगाल: 60.27

लद्दाख: 49.33
अन्य: 74.60

—-
फैक्ट फाइल

नीट 2019 में आवेदन: 15,19375
परीक्षा में शामिल हुए: 14,10755

क्वालिफाई हुए: 7,97042
परिणाम प्रतिशत: 56.50

नीट 2020 में आवेदन: 15,97435

परीक्षा में शामिल हुए: 13,66945
क्वालिफाई हुए: 7,71500

परिणाम प्रतिशत: 56.44

एक्सपर्ट व्यू

कॅरियर को लेकर ज्यादातर राज्यों में फैसला देरी से
डॉ. पीयूष सुण्डा का मानना है कि देश में भले ही साक्षरता दर बढ़ रही हो, लेकिन बच्चों के कॅरियर को लेकर अभिभावक काफी देरी से फैसला लेते हैं। इस वजह से नीट प्रवेश में देश के दस से बारह राज्यों के अभ्यर्थी 40 से 55 फीसदी के बीच ही क्वालीफाई हो रहे हैं। चंडीगढ़, दिल्ली, हरियाणा व राजस्थान जैसे राज्यों की स्थिति काफी बेहतर है। दिल्ली में विद्यार्थी कक्षा छठी या सातवीं में ही अपने कॅरियर को लेकर निर्णय ले लेता है। इस वजह से उनको तैयारी के लिए काफी समय मिलता है। हमारे यहां विद्यार्थी दसवीं के बाद कॅरियर का चयन करता है।

सरकार को बढ़ानी होगी मेडिकल कॉलेजों की संख्या

एक्सपर्ट वेदप्रकाश बेनीवाल व डॉ. अनिल धायल का कहना है कि डॉक्टरी का सपना देखने वाले युवाओं की संख्या हर साल बढ़ रही है। ऐसे में सरकार को नियमों में छूट देकर कॉलेजों की संख्या बढ़ानी होगी।

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