बढ़ रहे एमडीआर श्रेणी के मरीज
चिकित्सकों के अनुसार टीबी रोग के मरीजों को समय पर दवाएं लेनी जरूरी होती है। नियमित दवा न लेने से शरीर में बैक्टीरिया का लोड बढ़ जाता है। कुछ दिन बाद वह दवा खाने से असर नहीं करती है। इसके कारण मरीज जटिल एमडीआर टीबी की श्रेणी में चला जाता है। अधिकांश मरीजों में इसकी आशंका व्यक्त की जा रही है। वहीं परेशानी की बात है कि एक तरफ सरकार से दवा नहीं मिल रही है दूसरी ओर निजी केमिस्टों के पास दवा न होने के कारण मरीज अपना टीबी का कोर्स पूरा नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे में सामान्य टीबी के मरीजों में टीबी का खतरा अधिक बढ़ रहा है।
टीबी मुक्त भारत अभियान पर असर
विशेषज्ञों के अनुसार टीबी मुक्त भारत अभियान-2025 का समय नजदीक आ रहा है लेकिन प्रदेश में पिछले एक माह से दवाओं का स्टाॅक खत्म है और मरीज टीबी का कोर्स पूरा नहीं हो पा रहे हैें। जिस कारण सामान्य टीबी से गंभीर टीबी की चपेट में मरीज आ रहे हैं। ऐसे में केंद्र सरकार के टीबी मुक्त भारत अभियान को झटका लग रहा है। सीकर जिले में करीब आठ सौ मरीज डीएसटीबी आईपी और डीएसटीबी सीvi के मरीज है।
इनका कहना है
यह सही है कि प्रदेश में पिछले तीन माह से टीबी रोग के उपचार के लिए जरूरी दवाओं की सप्लाई नहीं हो रही है। जिसके कारण मरीजों का उपचार प्रभावित हो रहा है। हालांकि कुछ दवाएं एमएनडीवाई योजना के तहत मांगी गई है। केन्द्र स्तर से सप्लाई होने के बाद ही मरीजों को राहत मिल पाएगी। रतनलाल जाट, जिला क्षय रोग अधिकारी