कोरोना का कहर फैलने के बाद सबसे पहले प्रदेश में शेखावाटी के झुंझुनंू जिले में कफ्र्यू लगाया गया। इसके बाद भीलवाड़ा, कोटा, जयपुर, बीकानेर, जोधपुर सहित अन्य जिलों में कफ्र्यू लगता गया।
प्रदेश में कोरोना पॉजिटिव मरीजों की बात करें तो सबसे ज्यादा जयपुर में 103 है। इसके बाद भीलवाड़ा में 27, झुंझुनूं में 23, जोधपुर में 30 व टोंक में 20 पॉजिटिव केस सामने आ चुके है। इन जिलों में कफ्र्यू का असर भी सबसे ज्यादा है। इसके अलावा सीकर, करौली, धौलपुर व नागौर जिले में एक-एक ही केस सामने आया है। इन जिलों के पॉजिटिव केस के दूसरे जगह होने के कारण कफ्र्यू नहीं लगाया गया है।
रामजन्म भूमि आंदोलन के समय प्रदेश में कई स्थानों पर हालात जरूर बिगड़े थे। लेकिन इतना लंबा कफ्र्यू कभी नहीं लगा। कोरोना वायरस को मात देने के लिए हम सभी को घरों में रहना होगा। इसके लिए सरकार के पास फिलहाल सबसे बड़ा विकल्प यही है कि कफ्र्यू घोषित कर दिया जाए ताकि लोग संक्रमण से बचे रह सके।
कपिल गर्ग, सेवानिवृत्त पुलिस महानिदेशक, राजस्थान
कई बार कानून व्यवस्था के हिसाब से कुछ थाना क्षेत्रों में जरूर कफ्र्यू लगाया जाता है। लेकिन इतना लंबा कफ्र्यू और एक साथ इतने थाना क्षेत्रों में मैंने तो मेरे जीवन में कभी न तो सुना द देखा। वर्ष 1992 में कुछ थाना क्षेत्रों में जरूर लगा था। लेकिन उस समय इतने थाना क्षेत्रों में नहीं था। कोरोना वायरस तुरंत फैलता है इसलिए लॉकडाउन एक अच्छा कदम था। जिसे भारत में महामारी फैलने से ही लागू कर दिया, इससे सामुदायिक स्तर पर बीमारी को फैलने से रोक सके।
ओमेन्द्र भारद्वाज, सेवानिवृत, पुलिस महानिदेशक, राजस्थान
राजनैतिक कारणों से 1960 के दशक में कुछ थानों में जरूर एक साथ कफ्र्यू लगा था। अब जिस तरह कोरोना की वजह से कफ्र्यू लगा है, ऐसे हालात को कभी नहीं बने।
अमराराम, पूर्व विधायक, सीकर
दुनियाभर में लगभग 100 साल पहले प्लेग की महामारी फैली थी। उस दिनों कुछ ऐसे ही हालात बने थे। इसके बाद अब पूरी दुनिया में इस तरह का नजारा देखने को मिला है।
झाबर सिंह खर्रा, पूर्व विधायक, सीकर