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ये क्या..प्याज के बाद अब लहसुन ने खाया पाव

रसोई में लगने वाले तडक़े में अहम भूमिका अदा करने वाली प्याज के बाद अब लहसुन ने मुंह मोड़ लिया है। हाल यह है कि लहसुन के खुदरा भाव दोहरा शतक लगा चुके हैं जबकि प्याज के भाव १०० पार हो रहे हैं।

सीकरDec 06, 2019 / 05:23 pm

Bhagwan

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सीकर. रसोई में लगने वाले तडक़े में अहम भूमिका अदा करने वाली प्याज के बाद अब लहसुन ने मुंह मोड़ लिया है। हाल यह है कि लहसुन के खुदरा भाव दोहरा शतक लगा चुके हैं जबकि प्याज के भाव १०० पार हो रहे हैं। पिछले दो माह में आई तेजी के कारण रसोई का बजट बिगड़ गया है। मंडियों में प्याज की आवक गिर गई है। वहीं लहसुन के स्टॉकिस्ट सक्रिय हो गए हैं। जिससे बाजार में लहसुन की कृत्रिम कमी बन गई है। व्यापारियों का कहना है कि आने वाले दिनो में भी बढ़ते भावों से निजात मिलना दूर की कौड़ी नजर आ रहा है। सीकर मंडी में गुरुवार को प्याज के थोक भाव ५० से ६० व खुदरा भाव ८० रुपए प्रति किलो तक पहुंच गए। वहीं लहसुन मंडी में १२० से १४० रुपए व खुदरा में १५० से २०० रुपए प्रति किलो बोला गया। कमोबेश यही स्थिति अन्य सब्जियों की है।
नमी से लहसुन खराब

थोक व्यापारी हरिकिशन कोक ने बताया कि बारिश के मौसम में किसानों के पास रखा लहसुन नमी के कारण खराब हो गया है, जिसके कारण स्टॉक की भी कमी है, जिससे कीमतों में वृद्धि हुई है। भावों में तेजी आने के साथ ही स्टॉकिस्ट सक्रिए हो गए हैं। महाराष्ट्र व मध्य प्रदेश का प्याज जनवरी तक चलता है लेकिन इस बार प्याज की फसल तबाह होने से कमी हो गई है। इस कारण अन्य प्याज उत्पादक क्षेत्रों की मंडियों से देशभर में प्याज जा रहा है। यही कारण है कि अलवर के प्याज की जल्दी खुदाई हो गई। व्यापारियों की माने तो अलवर का प्याज भी कुछ दिनों में आना बंद हो जाएगा। जिससे लोगों को महंगा प्याज और लहसुन ही खरीदना होगा।
1000 रुपए से ज्यादा बढ़ा खर्च

लहसुन और प्याज के भावों में तेजी आने से हर परिवार का बजट सीधे तौर पर प्रभावित हो गया है। गृहणी आशालता, विमला डोरवाल, सुगना गिठाला ने बताया कि भावों में तेजी के कारण करीब एक हजार रुपए का खर्च बढ़ गया है। होटल व रेस्टोरेंट में सलाद के रूप में मिलने वाले प्याज की जगह मूली व गाजर परोसी जा रही है। वहीं दाल फ्राई में भी लहसुन की बजाए एसेंस का प्रयोग हो रहा है।
५० हजार से महज ७०० बैग

सीकर मंडी में फरवरी माह से नया प्याज आने लगता है प्याज का पीक सीजन अप्रेल, मई व जून माह में होती है। उस समय रोजाना प्याज के करीब ५० हजार बैग तक पहुंच जाता है। भाव कम रहने की स्थिति में नवम्बर व दिसम्बर में तीन से चार हजार बैग प्याज आता है। इस बार तेजी के कारण न केवल ठेलों से वरन थोक मंडी में प्याज गायब हो गया है। फिलहाल मंडी में औसतन तीन सो से ७०० बैग प्याज ही आ रहा है।

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