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सीकर

चिकित्सकों की मनमर्जी से मरीजों में खौफ

स्वाइन फ्लू से ज्यादा उसके नाम की दहशत प्रदेश में दौड़ रही है।

सीकरJan 14, 2019 / 04:45 pm

Vinod Chauhan

sikar local madical news

चिकित्सकों की मनमर्जी से मरीजों में खौफ

सीकर.

स्वाइन फ्लू से ज्यादा उसके नाम की दहशत प्रदेश में दौड़ रही है। अब तक मिले स्वाइन फ्लू पॉजीटिव और मौत की सख्ंया को देखते हुए घबराहट इस कदर बढ़ गई है कि कि लोग सीजन में होने वाली साधारण सर्दी जुकाम को स्वाइन फ्लू से जोडक़र देखने लगे हैं। दस दिन में एंटीबॉयोटिक, एंटीएलर्जिक और सर्दी जुखाम की दवाओं में आठ से १५ प्रतिशत तक उछाल आ गया है। निजी चिकित्सक भी बिना सोचे समझे अंधाधुंध एंटीबायोटिक दवाएं लिख रहे हैं। वहीं सरकारी अस्पतालों में चिकित्सक स्वाइन फ्लू जांच लिखने में कोताही बरत रहे हैं। इसका नतीजा है कि मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा है। सीकर के एसके अस्पताल में हर रोज औसतन तीन दर्जन से ज्यादा मरीज संदिग्ध आते हैं महज १०० लोगों के नमूनों को जांच के लिए भेजा गया है। गौरतलब है कि सीकर जिले में स्वाइन फ्लू के अब २२ रोगी सामने आ चुके हैं वहीं दो मरीजों की मौत हो चुकी है।
सरकारी में निशुल्क, निजी में मनमर्जी का शुल्क
स्वाइन फ्लू का संक्रमण तेजी से फैलने के बावजूद स्वास्थ्य विभाग ने इसकी जांच के लिए अब तक कोई शुल्क तय नहीं किया है। ऐसे में जांच के नाम पर मरीजों और तीमारदारों को जमकर लूटा जा रहा है। किसी लैब में 47५0 रुपए लिए जा रहे हैं तो कहीं 6000 रुपए। कमाई छिपाने के लिए लैब संचालक मरीजों को न तो इसका बिल दे रहे हैं, न ही सीएमएचओ दफ्तर में रिपोर्ट पॉजिटिव आने की जानकारी। इससे स्वाइन फ्लू के मरीजों का सही आंकड़ा भी सामने नहीं आ पा रहा।
बुखार होते ही स्वाइन फ्लू जांच
प्रदेश में स्वाइन फ्लू का कहर जैसे-जैसे बढ़ रहा है लोगों में घबराहट भी बढ़ रही है। सर्दी के सीजन में सर्दी जुकाम बुखार आम बात है लेकिन हाल यह है कि शरीर का तापमान बढ़ते ही शंका सीधे स्वाइन फ्लू की ओर बढ़ रही है। पिछले दिनों एक निजी अस्पताल में मरीज से स्वाइन फ्लू की रोकथाम के लिए महज एक गोली के ५५० रुपए तक ले लिए गए।
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यह है कारण
चिकित्सा विभाग के अनुसार निजी पैथॉलॉजी लैब में स्वाइन फ्लू की पुष्टि होने पर सरकारी अस्पताल में क्रॉस चेकिंग होती है। इसके लिए सभी निजी लैब को निर्देश है कि रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर तुरंत सीएमएचओ कायार्लय में सूचना दें, लेकिन अकसर निजी लैब संचालक सूचना नहीं भेजते। इस वजह से टीम ओर टैमीफ्लू बांटने के लिए मरीजों तक नहीं पहुंच पा रही है। इससे मरीजों के परिजनों के भी स्वाइन फ्लू की चपेट में आने का खतरा है।
होम्योपैथिक दवाओं की बिक्री भी बढ़ी
होम्योपैथिक दवाओं की बिक्री में भी काफी तेजी आई है। बिक्री में सामान्य से बीस गुना का इजाफा हुआ है। इस मौसम में सर्दी जुखाम से पीडि़त मरीज आते ही हैं लेकिन इस समय ज्यादा आ रहे हैं। होम्योपैथिक यूकेटोरियम पर्फ, जैलसीमियम, रस्टोक्स , मर्कसौल, इकोनाइट आदि दवाएं वायरल में कारगर होती हैं। आयुर्वेद चिकित्सकों के अनुसार स्वाइन फ्लू जानलेवा नहीं है। इससे कोई नहीं मरता है। स्वाइन फ्लू जब निमोनिया में बदल जाता है तब जानलेवा हो जाता है। निमोनिया होने पर मरीज हांफने लगता है और उसकी सांस की तकलीफ लगातार बढ़ती जाती है। ऐसे मरीजों पर ही खास ध्यान देने की जरूरत है।
अब तक नहीं लगाए इंजेक्शन
स्वाइन फ्लू का उपचार करने वाले चिकित्सक और नर्सिंग स्टॉफ को स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए इंजेक्शन लगाने की जरूरत होती है। इसके अलावा मास्क लगाने की जरूरत भी केवल पीडि़तों को है और एन 95 जैसे महंगे मास्क के बजाए बाजार में मिलने वाले सस्ते मास्क ही लगाने की जरूरत होती है। स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए महंगे मास्क डाक्टरों को लगाना चाहिए और इंजेक्शन भी उन्हीं के लिए जरूरी है क्योंकि इंजेक्शन तीन हफ्ते बाद काम करता है तब तक इस बीमारी का सीजन खत्म हो जाएगा।
इनका कहना है
सरकारी अस्पतालों में स्वाइन फ्लू की जांच निशुल्क होती है। संदिग्ध मरीज स्वाइन फ्लू की जांच अस्पताल में करवा सके इसके लिए एक चिकित्सक को अधिकृत किया हुआ है। निजी लैब में स्वाइन फ्लू की जांच के लिए एक दर निश्चित नहीं है।
– डॉ. अजय चौधरी, सीएमएचओ सीकर

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