पत्रिका मतलब सच
सेवानिवृत सूबेदार चंद्र सिंह ने बताया कि वह शुरू से पत्रिका पढ़ते रहे। लेकिन, 2002 में सेना से सेवानिवृति के बाद से तो उनके दिन की शुरुआत पत्रिका पढऩे के साथ ही होती है। कहा कि सच व तथ्य आधारित खबरों में पत्रिका का कोई सानी नहीं है। खबरों को आकर्षक बनाने की बजाय पत्रिका खबरों को तथ्यों की कसौटी पर कसता है। इसी वजह से पत्रिका उनके परिवार का विश्वास बना हुआ है। बोले, कि पत्रिका के अन्य साप्ताहिक अंकों का भी उन्हें बेसब्री से इंतजार रहता है।
पत्रिका की कार की खुशी ज्यादा, पहले जाएंगे मंदिर
चंद्रसिंह व उनके परिवार ने कहा कि कार में वह सबसे पहले गणेश जी के मंदिर जाएंगे। इसके बाद वह अन्य धार्मिक स्थलों व संबंधियों के जाएंगे। कहा कि घर में कार तो पहले से थी, लेकिन पत्रिका से मिलने वाली कार की खुशी ज्यादा है।