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शिक्षक भर्ती परीक्षा के सिलेबस पर सियासत: 9 लाख बेरोजगार जुटे थे पुराने सिलेबस से तैयारी में, बदलाव से थोड़ी चुनौती

भर्तियों पर सियासत के साथ अब द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा के सिलेबस पर भी बेरोजगारों के साथ भाजपा ने सवाल उठाए है।

सीकरJun 12, 2022 / 06:52 pm

Ajay

शिक्षक भर्ती परीक्षा के सिलेबस पर सियासत: 9 लाख बेरोजगार जुटे थे पुराने सिलेबस से तैयारी में, बदलाव से थोड़ी चुनौती

शिक्षक भर्ती परीक्षा के सिलेबस पर सियासत: 9 लाख बेरोजगार जुटे थे पुराने सिलेबस से तैयारी में, बदलाव से थोड़ी चुनौती

सीकर. भर्तियों पर सियासत के साथ अब द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती परीक्षा के सिलेबस पर भी बेरोजगारों के साथ भाजपा ने सवाल उठाए है। पिछले दिनों राजस्थान लोक सेवा आयोग की रिव्यू कमेटी ने द्वितीय श्रेणी शिक्षक भर्ती के सिलेबस को हरी झंडी दी थी। इसके बाद से ही बेरोजगारों की ओर से इस भर्ती को पुराने सिलेबस के हिसाब से कराए जाने की मांग की जा रही है। सभी विषयों के सिलेबस की बात करें तो 12 वीं के पाठ्यक्रम के बजाय स्नातक के पाठ्यक्रम को ज्यादा वैटेज दिया गया है। सिलेस पर सियासत बढऩे की असली वजह महात्मा गांधी के राष्ट्रीय आंदोलन में योगदान और महिलाओं की मध्यकालीन व वर्तमान युग में भूमिका विषय के टॉपिकों को हटाना है। जबकि इससे पहले वर्ष 2018 की शिक्षक भर्ती में यह पाठ्यक्रम शामिल रहे थे। दूसरी तरफ विज्ञान में 12वीं के पार्ट को कम करके स्नातक के सिलेबस को बढ़ाया गया है। इससे पेपर का स्तर और कठिन होने की संभावना है। सामाजिक विज्ञान के अर्थशास्त्र के पार्ट में 50 प्रतिशत से भी ज्यादा पाठ्यक्रम बदला गया है। पहली यूनिट में नया टॉपिक जनजातियां शामिल किया है। योजनाएं और बजटीय रूझान हटाया है। यूनिट 4 में राजस्थान के स्वतंत्रता संग्राम में 1857 की क्रांति व राजनीतिक जागरूकता जोड़ा है। मध्यकाल व आधुनिक काल में महिलाओं की भूमिका, राजस्थान राज व्यवस्था हटाया है। राष्ट्रीय आंदोलन में गांधीजी का योगदान, परमाणु अप्रसार आदि टॉपिक को हटाया है। गौरतलब है कि प्रदेश में इस बार राजस्थान लोक सेवा आयोग की ओर से 9760 द्वितीय श्रेणी शिक्षकों के पदों पर भर्ती होनी है। इस भर्ती में प्रदेश के नौ लाख से अधिक बेरोजगार शामिल होंगे।

बेरोजगारों का दर्द

केस एक: एक साल से तैयारी में जुटे थे, अब सिलेबस में बदलाव क्यों

सीकर निवासी बृजमोहन महला का कहना है कि वह एक साल से तैयारी में जुटे थे। विभाग ने विज्ञप्ति के बाद अचानक सिलेबस बदल दिया है। ऐसे में विज्ञान वाले अभ्यर्थियों को काफी नुकसान हुआ है। इस बार 2018 के सिलेबस के आधार पर ही परीक्षा कराई जानी चाहिए।

केस दो: किस आधार पर रिव्यू, बेरोजगारों से सुझाव तक नहीं लिएजयपुर निवासी अभ्यर्थी सुरेन्द्र कुमार का कहना है कि आरपीएससी की ओर से नए सिलेबस के निर्धारण में एक्सपर्ट से राय लेने का दावा किया जा रहा है। लेकिन बेरोजगारों की पीड़ा शिक्षा विभाग और आरपीएससी दोनों ने नहीं सुनी। कॉलेज स्तरीय पाठ्यक्रम को ज्यादा वैटैज देने का निर्णय गलत है।

आरपीएससी का तर्क: विभाग भेजता है सिलेबस

इस मामले में राजस्थान लोक सेवा आयोग के सूत्रों का अपना अलग दावा है। आरपीएससी का तर्क है कि विभाग सिलेबस संबंधित परीक्षा एजेंसी को भेजता है। इस सिलेबस को रिसर्च टीम की ओर से रिव्यू किया जाता है। इसके बाद नए सिरे से सिलेबस जारी किया जाता है।

और ऐसे समझें किस विषय में क्या बदलाव

राजनीति विज्ञान और लोक प्रशासन:सामाजिक विज्ञान के द्वितीय प्रश्न पत्र अर्थशास्त्र, राजनीतिक विज्ञान के पार्ट में कई बदलाव सामने आए है। अर्थशास्त्र में 50 फीसदी से भी ज्यादा मैटर में बदलाव सामने आया है। इससे दोनों पार्ट में सिलेबस और भी विस्तृत हो गया है। अर्थव्यवस्था के पार्ट को समसामयिकी के संदर्भ से जोड़ा है। राजनीति विज्ञान के पार्ट में एनसीईआरटी की कक्षा 11 व 12 की विषय वस्तु को जोड़ा है। समाजशास्त्र के पार्ट में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं हुआ है। लोक प्रशासन में प्रथम और दूसरे प्रशासनिक सुधार आयोग का नया टॉपिक शामिल किया गया है। इतिहास की विषय वस्तु में राष्ट्रीय आंदोलन को विस्तार से जोड़ा है। आधुनिक भारत में क्रांतिकारी आंदोलन को जोड़ा है। विश्व इतिहास के पाठ्यक्रम को संक्षिप्त किया है। भूगोल पार्ट में जैव विविधता, कोरल रिफ, मरुस्थलीकरण के नए टॉपिक जोड़े हैं।

अंग्रेजी व संस्कृत: स्नातक के पाठ्यक्रम से कई टॉपिक शामिल

अंग्रेजी विषय में ज्यादा बदलाव सामने नहीं आया है। लेकिन संस्कृत में स्नातक के कई टॉपिक जोड़े गए है। संस्कृत में शब्द रूप व धातु रूप कम किए हैं। व्याकरण के पार्ट में थोड़ा बदलाव किया गया है।

हिन्दी: राजस्थानी लेखकों को मिली जगह, गद्य विद्याएं शामिलहिंदी के सिलेबस में भी इस बार बदलाव किया गया है। अब तक हिन्दी में एनसीईआरटी की कक्षा नवीं से 12वीं तक की पुस्तकों से भी सवाल पूछे जाते थे। लेकिन अब इस पार्ट को हटा दिया है। वहीं साहित्य इतिहास में गद्य विद्याओं के टॉपिक को शामिल किया है। इसके अलाावा राजस्थानी लेखकों को महत्व देते हुए विजयदान देथा, हेतु भारद्धाज, यादवेंद्र शर्मा सहित अन्य की रचनाएं जोड़ी हैं। शिक्षण विधियों में भी बदलाव सामने आया है।

विज्ञान: 12 वीं को कम वैटेज, बीएससी के सिलेबस से ज्यादा सवाल

विज्ञान के शिक्षक बनने वाले बेरोजगारों के लिए थोड़ी राहत के साथ परेशानी भी बढ़ी है। विज्ञान में इस बार 12 वीं तक के पाठ्यक्रम के बजाय बीएससी स्तर के पार्ट को ज्यादा बढ़ावा दिया। फिजिक्स में 12वीं तक के सिलेबस में 30 प्रतिशत पार्ट हटाया गया है। केमिस्ट्री के पार्ट में 11वीं की ऑर्गेनिक के कुछ टॉपिक को हटाया है। एक्सपर्ट की माने तो इस बार की भर्ती में विज्ञान विषय की परीक्षा में 11वीं के सवाल ज्यादा पूछे जाने की संभावना है। बीएससी के स्तर में बायोलॉजी व केमिस्ट्री में नए टॉपिक ज्यादा जोड़े हैं।

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