पढ़ती व सुनती है खबरें
बाली देवी शुरू से ही पत्रिका पढ़ती रही है। वह कहती है उनके घर में शुरू से ही राजस्थान पत्रिका ही आता है। जिस पर उनका इतना विश्वास जम गया है कि दूसरे समाचार पत्र देखती ही नहीं। कम पढ़ी लिखी होने के बावजूद भी वह रोजाना अखबार पढ़ती है। कभी कभी कुछ समाचारों को वह परिजनों से पढ़वाकर भी सुनती है।
पत्रिका से घर आ जाते हैं मेले
बाली देवी कहती है कि उम्र ज्यादा होने से वह धार्मिक मेलों में नहीं जा सकती। लेकिन, राजस्थान पत्रिका खबरों व फोटो के जरिये वह मेले उनके लिए घर ही ले आती है। बाली देवी के बेटे प्रभु दयाल बताते हैं कि पत्रिका में देवी- देवताओं की तस्वीर आने पर वह समाचार पत्र में ही उनके हाथ जोड़कर प्रार्थना करने लगती है।
पत्रिका मतलब ‘सच’, बरसों से एकमात्र पसंद
बकौल बाली देवी पत्रिका की खबरें सरल शब्दों में होती है। जिसे वे कम पढ़ी- लिखी होने के बावजूद भी आसानी से पढ़ व समझ सकती है। इसके अलावा खबरों में सादगी के साथ प्रामाणिकता भी झलकती है। बाली देवी के पूरे परिवार का भी यही कहना है कि पत्रिका की खबर मतलब ‘सच’ है। जिसे ‘मसालों से चटपटी’ नहीं बनाया जाता। अन्य समाचार पत्रों के मुकाबले पत्रिका का हर शब्द सच की कसौटी पर खरा नजर आता है। यही वजह है कि घर में बरसों से राजस्थान पत्रिका ही पहली व एकमात्र पसंद बना हुआ है। राजस्थान पत्रिका के अलावा किसी दूसरे समाचार पत्र को घर में प्रवेश नहीं दिया गया है।