सीकर. राजपूत समाज का सरकार के खिलाफ गुस्सा सोमवार को खुलकर बाहर आ गया। रामलीला मैदान में आयोजित कार्यक्रम में राजपूत व रावणा राजपूत संघर्ष समिति का कार्यकर्ता सम्मेलन हुआ। इसमें वक्ताओं ने कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार तक बात पहुंचाने के बावजूद राजपूतों के आंदोलन को हल्के में लिया जा रहा है। भाजपा सरकार कमल के फूल के साथ रहना राजपूतों की मजबूरी मान रही है। सरकार राजपूतों को बंधुआ मजदूर समझ रही है। राजपूतों के खिलाफ चुन-चुन कर फैसले लिए गए हैं।
अब राजपूत अपने स्वाभिमान के साथ ही निर्णय लेगा। सभी को मतभेद और मनभेद भुलाकर एक जाजम पर आना होगा। वक्ताओं ने कहा कि समय रहते सरकार नहीं चेती तो समाज की ओर से तीन जून से भाजपा हटाओ राजस्थान बचाओ के नारे के साथ गांव व ढाणियों से आंदोलन का आगाज किया जाएगा।
यह रहे मौजूद
समारोह में राजपूत सभा के अध्यक्ष गिरीराज सिंह लोटवाड़ा, मारवाड राजपूत सभा के हनुमान सिंह खांगटा, दुर्ग सिंह खींवसर, रणजीत सिंह सोडाला, महावीर सिंह सरवड़ी, कान सिंह निर्वाण, सुदर्शन सिंह खुड़ी, लोकेन्द्र सिंह छापोली, मोहन सिंह, शरद सिंह गोगावास, राम सिंह उमाड़ा, शिशुपाल सिंह भाटी, चितरंजन सिंह राठौड, राम सिंह पिपराली, बलबीर सिंह हाथौज, पूरण कंवर, आनंदपाल सिंह की माताजी निर्मल कंवर, रघुराज सिंह खुड़ी, राम सिंह, रणजीत सिंह गोंदिया, भवानी सिंह राठौड़, मोहन सिंह हाथौज सहित चूरू,झुंझुनूं, नागौर के कई पदाधिकारी व कार्यकर्ता मौजूद रहे।
संघर्ष समिति का किया गठन
आंदोलन के पहले चरण के तहत सीकर में कार्यकर्ता सम्मेलन किया गया। 13 मई को अजमेर संभाग, 20 मई को कोटा संभाग, 27 मई को उदयपुर संभाग और तीन जून को भरतपुर संभाग में सम्मेलन होगा। सभी सामाजिक संस्थाओं को साथ लेकर तीन जून से स्वाभिमान यात्रा शुरू की जाएगी। सरकार की ओर से समाज की मांगे नहीं मानी तो मांडलगढ़ अजमेर व अलवर में हो चुके चुनावों की तर्ज पर आगामी विधानसभा चुनावों में मतदान के बहिष्कार किया जाएगा। समारोह में सीकर इकाई की संघर्ष समिति का गठन किया गया। जिसका संयोजक दयाल सिंह रोरू व सहसंयोजक सम्पत सिंह को मनोनीत किया गया।
साढ़े चार साल में किया कुठाराघात
राजपूत सभा के अध्यक्ष गिरीराज सिंह लोटवाड़ा ने कहा कि कांग्रेस के 70 साल के कार्यकाल में राजपूत समाज पर सरकार का कभी दमनचक्र नहीं चला है लेकिन भाजपा सरकार ने महज साढ़े चार साल में राजपूत समाज के हितों पर कुठाराघात किया है। ऐसा पहली बार हुआ है कि सरकार ने जानबूझकर राजपूत सभा पर करोड़ों रुपए यूडी टैक्स लगा दिया है। हनुमान सिंह खांगटा ने कहा कि सांवराद प्रकरण में बच्चों व महिलाओं पर कहर बरपाया गया है। लेकिन मौजूदा सरकार में समाज का अच्छा खासा प्रतिनिधित्व होने के बावजूद एक भी जनप्रतिनिधि ने मामले में कुछ नहीं कहा। समाज की बात नहीं करने वाले ऐसे नेताओं पर शर्म आनी चाहिए। इन नेताओं को समाज के युवा चुनावों में सबक सिखाएंगे।
12 मांगों पर सहमत हो सरकार
आनंदपाल प्रकरण में गृहमंत्री की मौजूदगी में हुए लिखित समझौते की पालना अक्षरश हो। समझौते के दौरान महज एक एफआईआर की जांच को ही सीबीआई को देनी थी लेकिन सरकार ने उक्त एफआईआर के साथ दो अन्य एफआईआर जांच के लिए भेज दी जिससे प्रकरण को हल्का किया जा सके। चतुर सिंह सोढ़ा एनकाउंटर मामले में सीबीआई की जांच के आदेश दिए जाएं।
पद्मावती फिल्म को पूरी तरह बैन करें और समाज की भावना को आहत करने वाली फिल्मों की शूटिंग पर रोक लगा दी जाए। सामाजिक संस्थाओं की कोई निजी आय नहीं होती है लेकिन इसके बावजूद राजपूत सभा पर करोड़ों रुपए शास्ति लगा दी गई। अन्य सभी जातियों के आंदोलन के दौरान दर्ज मुकदमों को वापस ले लिया गया लेकिन राजपूत समाज के लोगों पर अभी भी केस दर्ज है। उन्हें बार-बार नोटिस देकर दवाब बनाया जा रहा है।