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सीकर

राजस्थान में यहां मनरेगा की खुदाई में मिले हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष

राजस्थान के सीकर जिले के बिंज्यासी गांव में मनरेगा की खुदाई में मिले आभूषण हडप्पाकालीन संस्कृति के है।

सीकरSep 23, 2020 / 05:44 pm

Sachin

राजस्थान में यहां मनरेगा की खुदाई में मिले हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष

राजस्थान में यहां मनरेगा की खुदाई में मिले हड़प्पाकालीन संस्कृति के अवशेष

सीकर. राजस्थान के सीकर जिले के बिंज्यासी गांव में मनरेगा की खुदाई में मिले आभूषण हडप्पाकालीन संस्कृति के है। पुरातत्व विभाग की जांच में यह खुलासा हुआ है। गांव के जोहड़े में 31 अगस्त को मनरेगा की खुदाई में चार फीट नीचे मिट्टी के बर्तनों में यह आभूषण मिले थे। ग्रामीणों की सूचना पर आभूषणों को पंचायत में रखवा दिया गया था। पुरातत्व विभाग की टीम कई दिनों से जांच में जुटी हुई थी। केंद्र व राज्य सरकार की पुरातत्व टीम ने बिंज्यासी गांव में जाकर इन आभूषणों की जांच की हैं। टीम ने यहां मिले अवशेषों की जांच करते हुए कई अनुमान लगाए है। उन्होंने रिपोर्ट में बताया कि यहां पूर्व में एक नदी बहती थी। जो लंबे समय से बंद है। आभूषणों के साथ-साथ यहां पर जली हुई हड्डियां भी मिली है। जिससे ऐसा प्रतीत होता है, यह श्मसान भूमि की जगह रही होगी। उस समय एक मनुष्य की मौत के बाद उसके शरीर पर जो भी आभूषण होते थे, उन्हें गाडऩे की प्रथा भी हो सकती थी। पुरातत्व विभाग की टीम का यह भी कहना है कि यहां से तीन किलोमीटर दूर पश्चिम की ओर चार से पांच किलोमीटर में फैले कई टिले है। इन टिलों में हड़प्पा संस्कृति से जुड़े कई अवशेष मिले हैं। इससे ऐसा प्रतीत होता है, यहां पर कई बस्तियां एक साथ रही होगी। इनकी खुदाई होने के बाद ही स्थिति और ज्यादा स्पष्ट होगी।


जांच टीम में यह रहे शामिल

बिज्यासी गांव में मिले आभूषणों की जांच के लिए कई सदस्यों की टीम बनी। टीम में भारत सरकार जयपुर मंडल से एएसआई मनोज द्विवेदी, स्टेट टीम के तकनीकी विभाग की अधीक्षक धर्मजीत कोर, पुरातत्वविद सीकर से गणेश बेरवाल, पाटन राजकीय महाविद्यालय से सह प्राचार्य डॉ. मदन लाल मीणा और सीकर म्यूजियम के सुनील कुमार आदि शामिल रहे।


ग्रामीणों ने सुनार की दुकान ले जाकर कराई जांच
ग्रामीणों के अनुसार इन आभूषणों की जांच पहले सिहोट बड़ी स्थित एक सोनी की दुकान पर ले जाकर कराई गई। सोनी ने इनमें से कुछ आभूषणों को शुद्ध सोने के बताए है। हालांकि इसकी अभी तक कोई पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन इन आभूषणों को तीन चार जगहों से काटा गया है। साथ ही इन आभूषणों की सफाई भी की गई है।


प्रदेश में कालीबंगा हडप्पा संस्कृति का मुख्य केन्द्र

राजस्थान में अभी तक हड़प्पाकालीन सभ्यता का पूरा केन्द्र कालीबंगा है। सीकर में इससे पहले गणेश्वर और झुंझुनूं जिले में छावसरी से हडप्पाकाल की सभ्यता के कई नमूने मिल चुके है। हनुमानगढ़ से गणेश्वर के बीच के भाग को रिक्त माना जाता है। अब बिंज्यासी में हड़प्पा कालीन आभूषणों के मिलने को पुरातत्व विभाग काफी अहम मान रहा है।


यह मिले आभूषण
स्वर्ण आभूषणों में एक 10 सेमी. व्यास की एक बड़ी पत्ती, 20 सेमी. अद्र्धचंद्राकार गले का आभूषण, 9 सेमी की एक राड, चांदी का तार एवं 17 सेमी. लंबी तांबे की राड हैं। तांबे से निर्मित 6 सेमी. व्यास की 8 चूडिय़ा और 2 सेमी. व्यास की 9 बालिया है। डेक्कन कॉलेज पूणे के पूर्व उपकुलपति डॉ. बसंत सिंघे ने भी पूर्व में बिंज्यासी में मिले इन आभूषणों की हड़प्पाकालीन सभ्यता के होने की पुष्टि कर दी थी।


जांच की सदस्य बोले, बहुत अहम है अवशेष

पुरातत्वविद गणेश बेरवाल ने बताया कि बिज्यासी गांव में मिले आभूषण तीन हजार बीसी से 1800 बीसी के बीच के है। इसमें मृतभांड व आभूषण शामिल है। आभूषणों का वजन करीब एक किलोग्राम से अधिक है। इसके अलावा यहां पर डब्ल्यूपीजी टेरिकोटा व अन्य पाषाण सामग्री जिसमें धातु की भट्टियों के अवशेष काफी मात्रा में मिले है। ग्रामीणों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इन आभूषणों में पैरों के कड़े, अंगुलियों के आभूषण और बर्तन गायब है। जिला प्रशासन से अब तक हमे बहुत कम सहयोग प्राप्त हुआ है। जबकि जिला कलक्टर एंटीक्यूटी एक्ट के अध्यक्ष है। खुदाई के बाद इन आभूषणों को पहले ट्रेजरी में रखवाना चाहिए था। क्योंकि सीकर एएसआई का पद वर्तमान में खाली है। उसके बाद एएसआई के नाम नोटिस देकर इन आभूषणों को म्यूजियम में रखवाने की व्यवस्था करनी चाहिए थी। लेकिन जिला प्रशासन ने अभी तक ऐसा कुछ नहीं किया है।


कलक्टर को दी सूचना फिर भी आभूषण गांव में
जांच टीम ने जिला कलक्टर अविचल चतुर्वेदी, पुलिस अधीक्षक सहित अन्य अधिकारियों को सूचना दे दी है। समिति सदस्यों का कहना है कि आभूषण काफी अहम है। इसके बाद भी ग्राम पंचायत में ही रखे हुए है। ऐसे में जिला कलक्टर को स्थानीय कमेटी के अध्यक्ष के तौर पर दखल देते हुए आभूषणों को म्यूजियम में रखवाने की व्यवस्था करनी चाहिए। जांच पूरी होने के बाद इनको दिल्ली केन्द्रीय म्यूजियक या कालीबंगा स्थित कार्यालय में भिजवाया जाना चाहिए।

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