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पहले जमा कराए रुपए, अब सरकार ने किया मना

एग्रो बेस्ड पॉलिसी के तहत प्रदेश की मंडियो में नहीं बनेगी प्रोसेसिंग यूनिट
एक साल पहले लिए थे आवेदन

सीकरSep 05, 2018 / 09:48 pm

vishwanath saini

sikar

पहले जमा कराए रुपए, अब सरकार ने किया मना

सीकर. सरकार की बेरुखी कहें या मनमानी, बेरोजगारों को रोजगार मुहैया कराने के उद्देश्य से प्रदेश की कृषि उपज मंडियो में एग्रो बेस्ड यूनिट लगाने की योजना धरातल पर नहीं आ रही है। हाल यह है एक वर्ष पहले प्रदेश की सभी मंडियों में एग्रो बेस्ड प्रोसेस यूनिट लगाने के लिए विज्ञप्ति जारी की थी। इसके बाद आवेदकों ने यूनिट लगाने के लिए प्रति आवेदन पांच हजार रुपए निदेशालय में जमा कराए थे लेकिन सरकार ने अब इस विज्ञप्ति और आवेदनों को निरस्त कर दिया। सरकार के इस फरमान से बेरोजगारों का आत्म निर्भर बनने का सपना धूमिल हो गया है। सरकार की ओर से अब नए सिरे से विज्ञप्ति निकाली जाएगी। साथ ही आवेदकों को नए सिरे से आवेदन करना होगा।
डीएलसी की 25 फीसदी दर

एग्रो बेस्ड यूनिट की स्थापना के लिए प्रत्येक मंडी में 2100 गज जमीन आवंटित करनी थी। इसके लिए प्रत्येक मंडी में जमीन चिन्हित की गई। आवेदकों ने अपने प्रोजेक्ट की लागत का एक प्रतिशत निदेशालय में जमा कराई थी। आवेदक को संबंधित मंडी की डीएलसी की 25 प्रतिशत राशि जमा करानी थी। इसके तहत एग्रीकल्चर यूनिट के लिए आवेदन करने वाले आवेदक को मंडी शुल्क में रियायत देने का प्रावधान था।
रेट बढ़ाने के लिए किया निरस्त

मंडी शुल्क में की गई कमी के कारण मंडी की आय घट गई थी। इसके बाद एग्रो बेस्ड यूनिट के लिए रियायती दरों के कारण भी मंडियों को खासा नुकसान हो रहा था। मंडियों की आय बढ़ाने के लिए अब चुनावी सीजन में भूखंड आवंटन प्रक्रिया रोक दी है। ऐसे में अब नए सिरे से आवेदन होने पर आवेदकों को ज्यादा शुल्क देना होगा।
राज्य सरकार का निर्णय

एग्रो बेस्ड प्रोसेसिंग यूनिट के लिए सीकर में नौ आवेदन आए थे। आवंटन की विज्ञप्ति को निरस्त करने का निर्णय राज्य सरकार के स्तर पर हुआ है।

देवेन्द्र सिंह बारेठ, मंडी सचिव सीकर

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