सीकर के एसके स्कूल में गुरुवार को आयोजित लेपटॉप व स्कूटी वितरण समारोह को मुख्य अतिथि पद से सम्बोधित करते हुए रिणवा ने कहा कि वर्तमान हालात में सुधार के लिए युवाओं को संस्कारवान शिक्षा व राष्ट्रवाद की भावना का विकास करना जरूरी है। तभी हमारा देश तरक्की कर सकेगा। समारोह में 1215 प्रतिभावान विद्यार्थियों को लेपटॉप 26 छात्राओं को स्कूटी दी गई।
इनको मिली स्कूटी
ऋषिता, आभा सिंह, मनीषा, अनामिका, पूजा मीना, मोनिका कुमारी, शबनम बानो, दिव्यांगी गर्ग व निशा गुर्जर को पद्माक्षी पुरस्कार योजना के तहत स्कूटी का वितरण किया गया। वहीं कृष्णा शर्मा, पलक रघुवंशी, खुशी पारीक, हर्षिता चोटिया, आंचल शर्मा, नीरज शर्मा, सुगन कंवर, मीठू कंवर, सीमा राठौड़, आयुषि दाधीच, पारखी शर्मा, आशा कंवर, भावना पारीक, आम्रपाली अग्रवाल, कोमल शर्मा, रिया दीक्षित व रितु शर्मा को आर्थिक पिछड़ा वर्ग की मेधावी छात्राओं को स्कूटी वितरण योजना के तहत स्कूटी दी गई।
शिक्षा से ही दूर होगी खाई-डिडेल
माध्यमिक शिक्षा के निदेशक ने वर्तमान हालात पर कहा कि शिक्षा से ही असमानता की खाई दूर होगी। युवाओं को रोजगारपकर शिक्षा दिलाना चाहिए। बच्चों को उसकी इच्छा के अनुसार क्षेत्र चुनने दें। विधायक रतन जलधारी ने कहा कि सकारात्मक सोच से ही आगे बढ़ा जा सकता है। जिला प्रमुख अपर्णा रोलन ने कहा कि जो हॉबी खुशियां देती है,उसे कभी नहीं छोडऩा चाहिए।
जिला कलक्टर नरेश ठकराल ने कहा कि हर स्कूल में शौचालय बनाए जाएंगे। जिला शिक्षा अधिकारी जगदीश चोटिया ने कहा कि सीकर शिक्षा में अव्वल रहा है, आगे भी रहेगा। समारोह के विशिष्ट अतिथि उप निदेशक महेन्द्र सिंह, एसपी सिंह ख्यालिया, लक्ष्मी नारायण, एडीईओ पवन कुमार शर्मा, एसके स्कूल के प्राचार्य पुरूषोत्तम सैनी व भाजपा महिला मोर्चा की अध्यक्ष अनिता शर्मा थी। संचालन डॉ चंद्रप्रकाश महर्षि व मनोज मौर्य ने किया।
पांच घंटे परेशान होते रहे बालक
समारोह में नेताओं व अधिकारियों के कारण विद्यार्थी तेज गर्मी में पांच घंटे परेशान होते रहे। समारोह ग्यारह बजे शुरू होना था, लेकिन इसकी शुरुआत सवा बारह बजे हुई। मुख्य अतिथि करीब साढ़े ग्यारह बजे आ गए थे, लेकिन उनके बाद निदेशक आए। मुख्यमंत्री के दौरे की व्यस्तता के चलते जिला कलक्टर ठीक एक बजे समारोह में आए। विद्यार्थियों को साढ़े दस बजे बिठा दिया गया था। समारोह करीब ढाई बजे तक चला। इस प्रकार विद्यार्थी टेंट के नीचे फर्श पर करीब पांच घंटे परेशान होते रहे।
डिडेल बड़े या रिणवा?
यह अधिकारियों में निदेशक का भय था या कोई और कारण, लेकिन लोगों में निदेशक के सम्बोधन का क्रम चर्चा का विषय बन गया। अमूमन मुख्य अतिथि का सम्बोधन सबसे अंत में होता है, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मंत्री रिणवा थे, लेकिन मंत्री के बाद शिक्षा विभाग के निदेशक डिडेल का सम्बोधन करवाया गया। यह बात समारोह में चर्चा का विषय बन गई। हर कोई इस पर अंगूली उठाता दिखाई दिया।
निदेशकजी बताओ कहां गए आपके नियम?
गुरुवार को ही पांचवीं बोर्ड की परीक्षा थी, एक तरफ उसी एसके स्कूल में विद्यार्थी परीक्षा दे रहे थे, उसी समय तेज आवाज में माइक बज रहा था। तेज शोर के कारण विद्यार्थी परीक्षा में परेशान होते रहे, लेकिन युवा निदेशक चुप्पी साधे बैठे रहे। उनके सामने ही नियम कायदों की धज्जियां उड़ती रही। वहीं अनेक विद्यार्थी हेलमेट की गुणवत्ता पर भी सवाल उठाते रहे। हेलमेट के डिब्बे पर तो आईएसआई मार्का लगा हुआ था, लेकिन वह किसी श्रेष्ठ कम्पनी का नहीं था।