सड़क पर गाडिय़ां अपनी पूरी रफतार से दौड़ रही थी कि अचानक की पूरा इलाका गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा। अपने नाके की तरफ बढ़ रही सीआरपीएफ की नाका पार्टी पर आतंकियों ने हमला कर दिया। एक मस्जिद की ऊंचाई आतंकी एके 47 से अंधाधुंध गोलिया बरसाने लगा। सीआरपीएफ जवान ने भी तत्काल मोर्चा संभाल लिया और फिर क्या था दोनों तरफ से फायरिंग शुरू हो गई।
सन्न-सन्न कर गुजरती गोलियों के बीच एक स्थानीय अधेड़ अपने तीन साल के नाती के साथ घिर गया। मगर आतंकियों को तरस कहां आने वाला था, वे गोलियां दागते रहे। इससे बचने के लिए वह अपनी कार छोड़ सुरक्षित जगह तलाश रहे थे कि अचानक कई गोलियों उनके जिस्म को छलनी कर गई और वह सड़क के बीचों बीच गिर पड़े। पहले तो वह घबराकर इधर-उधर भागा फिर अपने नाना के सीने पर जा बैठा।
शायद इसी अंदाज में वह नाना के संग खेलता होगा। अंधाधुंध फायरिंग के बीच यह दृश्य देख सुरक्षाबल के जवान भी कांप गए। इस बीच और अधिक सुरक्षाबल पहुंच गए। बच्चे को देख सुरक्षाबलों ने हर हाल में उसे बचाना ही एक मात्र लक्ष्य तय किया क्योंकि अनंतनाग में जन्मदिन का तोहफा लेने गए बच्चे की मौत अभी किसी को भी भूली नहीं थी। इसके बाद आपरेशन शुरू हो गया।
ओर शहीद हो गया सीकर का जांबाज
आपरेशन में दोनों ओर से भारी गोलीबारी शुरू हो गई। जिसमें सीकर का हेड कांस्टेबल दीपचंद वर्मा गोलीबारी का शिकार हो गए।तत्काल अस्पताल ले जाया गया, जहां हेड कांस्टेबल दीपचंद बाद में शहीद हो गए। लेकिन इधर घटनास्थल पर बच्चे को बचाने का काम जारी रहा। एक तरफ सीआरपीएफ तो दूसरी तरफ जम्मू-कश्मीर पुलिस के जवानों ने यह तय कर लिया था कि आज मां की कोख नहीं उजड़ेंगी।
मोर्चा संभाला कोबरा कमांडो पवन कुमार चौबे ने। आतंकी गोलीबारी से बचते हुए बच्चे के पास तक पहुंच गए। उन्होंने बच्चे को इशारा किया और इशारा पाकर बच्चा भी पवन की तरफ बढ़ गया। जैसे ही यह बच्चा थोड़ा नजदीक पहुंचा पवन ने लपक कर बच्चे को गोद में उठा लिया और फायरिंग करते हुए फायरिंग रेंज से बाहर ला बच्चे को जम्मू-कश्मीर पुलिस को सौंप दिया।स्थानीय थानेदार अजीम खान ने गोद में लेकर बिलखते मासूम को बड़ा बहलाया। उसे टॉफी-चॉकलेट दी मगर वह नाना को देखकर रोता रहा।
इनका कहना है:
आतंकियों ने अचानक नाका पार्टी पर हमला किया। इस दौरान एक नागरिक चपेट में आ गया। इससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई, लेकिन उसके साथ एक बच्चा भी था। वह उनके पास ही बैठा रहा है। उस बच्चे को बचाते समय हमारे जवान चपेट में गया आ गए। सीआरपीएफ जवान की शहादत ने हमारी वीरता की परंपरा को आगे बढ़ाया है।
– एम दिनाकरन, सीआरपीएफ डीआईजी इंटेलीजेंस
बुलेटप्रूफ गाडिय़ों से रोकी आतंकियों की गोलियां
हम यह देख कर सहम गए कि बुजुर्ग के पास एक ढाई से तीन साल का बच्चा है जो उनके शरीर पर बैठा हुआ है और फिर उसे बचाने के लिए आपरेशन शुरू हो गया। सुरक्षाकर्मी लगातार कवर फायर दे रहे थे और फिर फायरिंग की बीच ही सीआरपीएफ और जम्मू कश्म़ीर पुलिस की बुलेट प्रुफ गाडिय़ां आगे लगा दीं और बच्चे को बचा लिया गया। आतंकी उंचाई पर स्थित एक मस्जिद के अंदर से गोलीबारी कर रहे थे।
– अजीम खान, थानाअधिकारी, जेके पुलिस