चेन्नई में आयोजित ऑल इंडिया 28 वी जी वी मावलंकर (प्री-नेशनल) शूटिंग प्रतियोगिता में 400 में से 360 का स्कोर बनाकर रूपा ने नेशनल के लिए क्वालिफाई किया है। भले ही रूपा ने गरीब परिवार में जन्म लिया हो। लेकिन इसके सपने आसमान छूने वाले है।
खेलों में भविष्य संजोने वाली रूपा अपने सपनों को पुरा करने में हर संभव प्रयासरत है। रूपा के अलावा प्री-नेशनल में क्वालिफाई होने वालों में योगेश जांगिड़, अभिषेक जांगिर, नेशनल खिलाड़ी नीलम कंवर, महिपाल ख्यालिया सहित इंटरनेशनल खिलाड़ी ओमप्रकाश चौधरी व दीपेंद्र सिंह भी शामिल है।
संघर्ष भरा सफर
रूपा की 12 वीं तक की पढ़ाई गांव के सरकारी स्कूल में पूरी हुई है। रूपा ने नवीं कक्षा में पढ़ते-पढ़ते ही स्कूली स्तर की वॉलीबॉल स्टेट खेला। इसके बाद कॉलेज में दाखिला ले लिया लेकिन खेलों के प्रति उत्साह कम नहीं हुआ।
नियमित अभ्यास
रूपा फिलहाल अपने ननिहाल छोटी खुड़ी में अपनी छोटी बहन, मामा व उनके तीन छोटे बच्चों के साथ रहती है। रोज सुबह आठ बजे घर से बस में बैठकर 23 किलोमीटर दूर सीकर के पिपराली रोड़ स्थित शेखावाटी शुटिंग रैंज पहुंचती है। वहां 12 बजे तक निशानेबाजी में प्रशिक्षण लेकर वापिस बस से ननिहाल चली जाती है। नानी की तबियत खराब होने के चलते खाना बनाने से लेकर घर के सभी काम रूपा करती है। मामा गाड़ी चलाते है। और मामी की 15 साल पहले कू लर में अचानक करंट लगने से मौत हो गई थी। जब भी समय मिलता है, निशानेबाजी के लिए हॉल्डिंग कर लेती है।
निशानेबाजी की शुरुआत
सीकर में शूटिंग रेंज का बोर्ड देख मन में निशानेबाजी सीखने का मन कॉलेज समय से था। लेकिन फीस ज्यादा होने की वजह से पापा से बात करने की हिम्मत नहीं हुई। सालभर पहले मम्मी को शूटिंग के बारे में बताया। मम्मी ने पहले तो साफ मना कर दिया। उसके बाद पापा को बात का पता चला तो उन्होंने कुछ समय बाद निशानेबाजी के लिए हां कर दी। आठ महीने में रूपा ने दो स्टेट व एक प्री नेशनल चैंपियनशिप खेल चुकी है।
पहला स्टेट महाराजा डॉ. करणी सिंह मेमोरियल में 400 में से 359 व राजस्थान स्टेट शूटिंग चैंपियनशिप में यूथ और जूनियर दोनों में 346/400 का स्कॉर रहा। और प्री-नेशनल में रूपा ने 400 में से 360 का स्कोर बनाया। निशानेबाजी में हर महीने 2500 रुपए फीस, तीन हजार रुपए के पेनेट्स (कारतूस), 400 रुपए तक के टारगेट तथा 2000 रूपए तक आने जाने में खर्च हो रहा है।