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जानकारी के अनुसार देशी शराब की दुकान के दो ठेकेदारों पर कई साल से एक करोड़ से अधिक की राशि बकाया चल रही थी। इसकी वसूली के लिए आबकारी विभाग ने इन ठेकेदारों की जमीन व मकान की नीलामी की प्रक्रिया अपनाई गई थी। लेकिन विभागीय अधिकारियों ने जमीन व मकान की आरक्षित कीमत तय किए बिना ही चहेतों को लाभ पहुंचाने के लिए उन्हें औने-पौने दामों में नीलाम कर दिया। जबकि उपपंजीयन फतेहपुर के रिकार्ड के अनुसार इन मकान व जमीन की बाजार कीमत 25.59 लाख रुपए थी।
मामले की जब शिकायत हुई तो शुरूआती तौर पर पता चला कि 11 लाख रुपए का भ्रष्टाचार हुआ है। जिसमें 43 फीसदी कम कीमत पर सिर्फ 14.57 लाख रुपए में ही बोलीदाता को मकान व जमीन नीलाम कर दिए गए और उनसे मौके पर ही 25 फीसदी पैसा यानि तीन लाख 64 हजार के करीब रुपए भी जमा करवा लिए गए।
इधर, जब जांच हुई तो भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने के लिए विभाग ने नीलामी स्थगित कर दी। भ्रष्टाचार निरोध ब्यूरो के तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पृथ्वीराज मीणा के अनुसार गड़बड़ी पर संबंधित विभाग के खिलाफ कार्रवाई की अनुशंसा भिजवाई थी। विभागीय स्तर पर पूरे मामले की जांच भी करवाई जा रही है।
इनका कहना है….
– नीलामी के प्रकरण की जांच चल रही है। विभाग द्वारा की गई नीलामी की कार्रवाई को भी स्थगित कर दिया गया है।
सत्यनारायण परेवा, डीईओ-आबकारी विभाग, सीकर