सीकर अग्निकांड: मंत्री ने लगाई फटकार तो हरकत में आया प्रशासन, दो घंटे में जारी की स्वीकृति
मंत्री ने फोन किया तो दो घंटे में जारी की सहायता राशि
शहर में हुए गैस हादसों से तीन मौतों के बाद भी जिला प्रशासन की संवेदना सोमवार तक नहीं जगी। सोमवार दोपहर को शिक्षा राज्य मंत्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने अधिकारियों को इस मामले की जांच में ढि़लाई बरतने पर फटकार लगाई। डोटासरा ने जिला कलक्टर यज्ञमित्र सिंह देव व एडीएम जयप्रकाश को फोन कर मामले की जांच रिपोर्ट नहीं आने का कारण भी पूछा।
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अधिकारियों ने जल्द सहायता राशि दिलवाने की बात कही तो मंत्री ने कहा कि आपके नियमों की खानापूर्ति होती रहेगी, पहले पीडि़त परिवारों को सहायता राशि दिलाओ। डोटासरा ने अधिकारियों को शाम तक ही सहायता राशि पीडि़त परिवारों को दिलाने की बात कही है। शिक्षा मंत्री ने कहा कि कंपनी तो नियमों का हवाला देकर इस तरह के मामलों में टालमटोल करती रहेगी। लेकिन यह तो सबके सामने है कि हादसा गैस सिलेंडर की वजह से हुई है। इसकी जांच में इतना समय लगना ही नहीं चाहिए था। इसके बाद दो घंटे बाद जिला कलक्टर ने मुख्यमंत्री सहायता कोष से शेखपुरा हादसे के दो मृतकों के परिजनों को एक-एक लाख रुपए की सहायता राशि स्वीकृत कर दी।
सभी मामलों में प्रशासनिक लापरवाही
1. गैस हादसे के बाद भी जिला कलक्टर, डीएसओ सहित अन्य अधिकारियों ने जनता के सामने लापरवाही का कारण अब तक उजागार नहीं किया। इस कारण लोगों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है।
2. पीडि़त परिवारों के रहने के अस्थाई इंतजाम कराने की बजाय प्रशासन ने जांच को ही कंपनियों के हवाले कर दिया।
3. मुख्यमंत्री सहायता कोष से सहायता राशि देना स्थानीय जिला प्रशासन का काम था। लेकिन उसकी याद भी शिक्षा मंत्री को फोन कर अधिकारियों को दिलानी पड़ी।
4. विवाहिता की हत्या के मामले में पुलिस धरने पर बैठे लोगों को समझाने में पूरी तरह विफल रही। ग्रामीणों से पहले दिन कोई वार्ता ही नहीं हुई। इस कारण सोमवार को आंदोलन और उग्र ले गया।
5. खंडेला में चल रहे आंदोलन के मामले में प्रशासनिक लापरवाही के चलते आंदोलन की डोर दिनों दिन मजबूती होती गई। प्रशासन ने यहां ने आंदोलनकारियों से वार्ता करने के बजाय अपने चैम्बर से रणनीति बनाने में बने रहे।
शहर में हुए दोनों हादसों में कंपनियों ने माना कि सिलेंडर की वजह से हादसा हुआ है। लेकिन लीकेज सहित अन्य कारणों की तकनीकी विंग की टीम जांच में जुटी है। बीपीसीएल व एचपीसीएल कंपनियों ने छह-छह लाख रुपए के प्रस्ताव बीमा कंपनी को भिजवा दिए हैं। -जयप्रकाश, एडीएम, सीकर