रतनलाल की मौत के समाचार मिलते ही तिहावली गांव में सन्नाटा पसर गया। गांव में रतनलाल की मां संतरा देवी (70) व छोटा भाई दिनेश परिवार के साथ रहते है। भाई मंडावा में गाड़ी चलाता है और गांव में खेती करते है। उनका एक भाई रमाकांत बैंगलोर में काम करता है। उनके पिता बृजमोहन की ढ़ाई साल पहले ही मौत हुई थी।
रतन ने दो दिन पहले ही मां संतरा व भाई दिनेश से फोन पर बात की थी। उसने मां से कुशलक्षेम पूछी थी। रतन ने इस बार होली पर गांव आने का वादा किया था, लेकिन बेबस मां को क्या पता था कि उसकी बेटे से आखिरी बार बात हो रही है।
घटना का पता लगते ही पूरा परिवार सदमे में है,हालांकि मां को घटना के बारे में नहीं बताया गया। लोग घर पर समाचार जानने के लिए पहुंचने लगे। वे दिल्ली के गोकुलपुरी एसीपी कार्यालय में हैडकांस्टेबल के पद पर कार्यरत थे। सोमवार को प्रदर्शन के दौरान वे पुलिस जाप्ते में थे।
उपद्रव के दौरान पथराव में सिर पर पत्थर लगने से वे चोटिल हो गए। अस्पताल में उनकी मौत हो गई। वे दिल्ली के बुराड़ी इलाके में अमृत विहार में पत्नी पूनम, दोनों बेटी और एक बेटे के साथ ही रहते थे। पूनम को हादसे की खबर टीवी पर ही पता लगी। हादसे का समाचार मिलते ही वह बेहोश होकर गिर पड़ी। दोनों बेटी व बेटा दिल्ली में ही पढ़ाई करते है।