फिलहाल यह प्लांट संचालित करने के लिए सीकर के एसके अस्पताल सहित प्रदेश के 26 जिला अस्पतालों को चुना गया है। यदि सबकुछ ठीक रहा तो इससे सरकारी अस्पताल को 24 घंटे निर्बाध बिजली हासिल हो सकेगी। सरकारी सूत्रों का कहना है कि अस्पतालों का बढ़ता बिजली खर्च कम करने के उद्देश्य से यह सोलर प्लांट लगाए जा रहे हैं।
इसके लिए स्थानीय जिला अस्पताल में कंपनी के प्रतिनिधि प्लांट लगाने के लिए पहले जगह का चयन करने आएंगे और इसके बाद प्लांट लगाने की पूरी प्रक्रिया को अंजाम तक पहुंचाएंगे। फिलहाल सरकार ने यह प्लांट लगाने की मंजूरी सीकर सहित झुंझुनूं, सिरोही, टोंक, उदयपुर, बीकानेर, प्रतापगढ़, राजसमंद, बांसवाड़ा, बारां, बाड़मेर, भरतपुर, बूंदी, चित्तौडगढ़़, दौसा, जयपुर, जैसलमेर, जालौर, करौली, कोटा, धौलपुर, गंगानगर, अजमेर, अलवर, हनुमानगढ़, नागौर, सवाईमाधोपुर जिले में संचालित जिला अस्पतालों के लिए जारी की है।
डेढ़ करोड़ की होगी बचत
अकेले एसके अस्पताल में हर महीने करीब छह लाख रुपए का बिजली का बिल आता है। जिसको चुकता करने पर प्रशासन के पसीने छूट जाते हैं। जबकि प्रदेश के इन 26 जिला अस्पतालों में बिजली के बिलों का खर्चा करीब डेढ़ करोड़ रुपए का वहन करना पड़ता है। अस्पताल में सोलर प्लांट लगने के बाद बिजली बिल में बेतहाशा कमी आएगी। सौर ऊर्जा मिलने से बिजली जाने पर जनरेटर नहीं चलाने पड़ेंगे और अस्पताल का तेल भी बच जाएगा।
छत पर लग सकता है प्लांट
सोलर प्लांट एक ऐसा उपकरण होता है। जो कि, सूरज से मिलने वाली सौरऊर्जा को विद्युत ऊर्जा में बदल देता है। इसका उपयोग बिजली से चलने वाले किन्हीं भी उपकरणों को चलाने में लिया जा सकता है। सूत्रों का कहना है कि यह प्लांट एसके अस्पताल की छत पर लगाने की संभावना ज्यादा है। ताकि इस पर सूरज की किरणें सीधी पड़ती रहे और तैयार बिजली को मरीजों की सुविधाओं के लिए खर्च किया जा सके।
इनका कहना
एसके अस्पताल में सोलर प्लांट लगाने की योजना सरकारी स्तर पर चल रही है। प्लांट लगने के बाद अस्पताल के बिजली बिल में भी कटौती आएगी। हालांकि प्लांट लगाने के लिए पहले जगह तलाशने के लिए कंपनी के प्रतिनिधि अस्पताल का निरीक्षण करने आएंगे। इसके बाद प्लांट लगने से अस्पताल की बिजली की समस्या हल हो जाएगी।
डा. हरि सिंह, पीएमओ, एसके अस्पताल सीकर