12 जनवरी को पहले भी हो चुका लहुलुहान नौ महीने पहले मकर संक्राति से दो दिन पहले 12 जनवरी को मासूम गर्वित चाइनीज मांजे से लहुलुहान हो चुका है। तब वह पिता मनीष माथुर के साथ डॉक्टर के पास बसंत विहार में दातों का चैकअप कराने गया था। बाइक पर लौटते समय सालासर बस स्टैंड के पास तेज चाइनीज मांजा गले को चीरते हुए निकल गया। 15 दिनों तक उसका अस्पताल में उपचार चला था।
प्रतिबंधित चाइनीज मांजा खुलेआम बिक रहा
प्रतिबंधित होने के बावजूद चाइनीज मांजा शहर में घंटा घर, चांदपोल गेट सहित काफी जगह-जगह दुकानों पर खुलेआम बिकता है। कोतवाली पुलिस केवल दिखावा मात्र के लिए एक-दो दुकानों पर कार्रवाई करती है। शेखावाटी में नवम्बर से पतंग उडऩी शुरू हो जाती है और जनवरी के अंत तक पतंग उड़ाई जाती है। ऐसे में तेज धार के शौक में युवा चाइनीज मांजे का प्रयोग करते है। मांजे से बेजुबान पक्षियों और मासूमों को काफी नुक्सान होता है।
बाइक पर संभल कर चले अगर आप बाइक पर जा रहे है तो काफी संभल कर चले। पतंग कटने के बाद चाइनीज मांजा सीधे गले व चेहरे को काटते हुए निकल जाता है। बाइक चलाते समय मंाजे की तरफ ध्यान नहीं जाता है ऐसे में बड़ा घाव होने का अंदेशा रहता है। चाइनीज मांजे से सीकर में पिछले साल चाइनीज मांजे से काफी लोगा घायल हो चुके है। यहां तक जयपुर में एक बच्चे की मौत हो गई थी।
क्या कहता है कानून
चाइनीज मांजे को पूरी तरह से प्रतिबंधित किया गया है। यह पूरी तरह से जानलेवा है। देश में एन्वायरमेंट एक्ट 1986 के तहत चाइनीज मांजे को प्रतिबंधित किया गया है। यह गैर जमानती अपराध है। चाइनीज मांजे को बेचने वाले और मांजे से पतंग उड़ाने वाले को पुलिस गिरफ्तार कर जेल भी भेज सकती है।