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सरकार के इस फरमान ने उड़ाई किसानों की नींद

प्रदेश के 25 लाख किसानों को हर साल गिनानी होगी साख

सीकरJun 18, 2019 / 06:30 pm

Vinod Chauhan

sikar news

सरकार के इस फरमान ने उड़ाई किसानों की नींद


पूरण सिंह शेखावत

सीकर.

सहकारिता को बढ़ावा देने का दावा करने वाली कांग्रेस सरकार ने प्रदेश में किसानों की मुसीबत बढ़ा दी है। वजह सहकारिता विभाग ने नई ऋण वितरण व्यवस्था में पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के शासनकाल में बनी किसानों की पांच साल के लिए साख सीमा के आदेश को दरकिनार कर दिया। इससे सहकारिता विभाग की ओर से किसानों को ऋण वितरण के लिए लागू की जा रही नीति से बड़ी संख्या में किसान ऋण योजना से बाहर हो जाएंगे। इससे प्रदेश के करीब 25 लाख किसान सीधे तौर पर प्रभावित होंगे। इनमें से करीब एक लाख किसान सीकर जिले के शामिल हैं। गौरतलब है कि ऋण वितरण नीति 2018 के अनुसार सभी सदस्य किसानों की साख सीमा को 2021 तक बनाया गया था। इसके तहत किसानों को रबी और खरीफ सीजन का ब्याज मुक्त ऋण भी बांटा जा चुका है।
बिना होमवर्क लागू कर दिए आदेश
ऋण वितरण में पारदर्शिता लाने और ग्राम सेवा सहकारी समितियों का काम ऑनलाइन करने में वाह-वाही लूटने के लिए सहकारिता विभाग ने आदेश तो लागू कर दिए लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं है। हकीकत यह है कि विभाग ने न तो किसी जीएसएस को संसाधन उपलब्ध कराए और न ही किसी कर्मचारी को प्रशिक्षण दिया। इसके अलावा प्रदेश के किसी भी बैंक में ऋण वितरण का काम ऑनलाइन नहीं किया जा रहा है। ग्राम सेवा सहकारी समिति के माध्यम से किसानों को ऋण उपलब्ध कराने में ग्राम सेवा सहकारी समिति के व्यवस्थापक और संचालन मंडल की अहम भूमिका रहती है। नई ऋण नीति से किसानों को ऋण नहीं मिल पाएंगे तो ग्राम सेवा सहकारी समिति के लोन वितरण लक्ष्य पूरा नहीं होंगे तो सोसायटी का खर्च चलाना भी मुश्किल हो जाएगा। इसलिए प्रदेश के ग्राम सेवा सहकारी समिति के व्यवस्थापक कार्य का बहिष्कार कर आंदोलन की राह पर है।
यह है आदेश
अतिरिक्त रजिस्ट्रार बैंकिंग सहकारी समितियां जयपुर ने मई 2019 में एपेक्स बैंक के जरिए सभी केन्द्रीय सहकारी बैंकों को सहकारी फसली ऋण ऑनलाइन पंजीयन एवं वितरण योजना 2019 के तहत सहकारी फसली ऋण पोर्टल पर पंजीयन कराने और आधार कार्ड के प्रमाणीकरण के बाद अल्पकालीन फसली ऋण बांटने के निर्देश दिए थे। निर्देशों के अनुसार किसान की साख सीमा का निर्धारण जीएसएस की बजाए सहकारी बैंक की ओर से ही किया जाएगा।
अब यह होगा
सहकारिता विभाग की ओर से जारी आदेश में बताया गया कि नया वितरण ऑनलाइन व्यवस्था के तहत ही होगा। जबकि सहकारिता विभाग की ओर से किसानों की साख सीमा बनी हुई है। नए सरकार ने किसानों की पुरानी स्वीकृत साख सीमा को स्वत: ही निरस्त मान लिया है। अब किसान की ऑनलाइन जमाबंदी के आधार पर उसकी लोन की साख (लिमिट) बनाई जाएगी। जिसके लिए ई मित्र पर 25 रुपए शुल्क देकर पंजीयन करवाना होगा। जिसमें आधार, सहकारी बैंक का खाता नंबर, आईएफएससी कोड, राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज जमीन का विवरण, रबी एवं खरीफ में बोई फसल का विवरण, समिति एवं अन्य बैंक व संस्थाओं से लिए ऋण की सूचना दर्ज होगी।
खेती की जमीन है नाम तो ही मिलेगा ऋण
सहकारिता विभाग की ओर से फसली ऋण उस किसान को मिलेगा जिसके नाम खेती की जमीन है। जबकि भाजपा सरकार की ओर से जारी नीति 2018 के तहत खेती करने वाले ग्राम सेवा सहकारी समितियों से जुड़े किसानों को ऋण दिया जाता रहा है। ऐसे में अब यदि पिता के नाम की जमीन पर संतान अलग-अलग खेती करती है तो उन्हें ब्याज मुक्त ऋण नहीं मिल सकेगा। इसके अलावा सबसे बड़ी परेशानी ऑनलाइन दस्तावेजों को लेकर होगी। आधार कार्ड, जमाबंदी और वोटर आईडी में दर्ज नाम में मामूली गडबड़ी होने से पात्रता के बावजूद किसानों को ऋण नहीं मिल पाएगा। इस कारण भी प्रदेश में करीब 13 लाख किसान वंचित रह सकते हैं।
जिम्मेदार कहते हैं
यह सही है कि नई ऋण नीति से किसानों को जो परेशानी आ रही है। उससे मुख्यमंत्री को अवगत करा दिया है। जल्द ही किसानों को इस समस्या से निजात दिलवाई जाएगी।
करणी सिंह सेवदा, अध्यक्ष ब्लॉक कांग्रेस सहकारिता प्रकोष्ट धोद, सीकर
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