अतिरिक्त रजिस्ट्रार बैंकिंग सहकारी समितियां जयपुर ने मई 2019 में एपेक्स बैंक के जरिए सभी केन्द्रीय सहकारी बैंकों को सहकारी फसली ऋण ऑनलाइन पंजीयन एवं वितरण योजना 2019 के तहत सहकारी फसली ऋण पोर्टल पर पंजीयन कराने और आधार कार्ड के प्रमाणीकरण के बाद अल्पकालीन फसली ऋण बांटने के निर्देश दिए थे। निर्देशों के अनुसार किसान की साख सीमा का निर्धारण जीएसएस की बजाए सहकारी बैंक की ओर से ही किया जाएगा।
अब यह होगा
सहकारिता विभाग की ओर से जारी आदेश में बताया गया कि नया वितरण ऑनलाइन व्यवस्था के तहत ही होगा। जबकि सहकारिता विभाग की ओर से किसानों की साख सीमा बनी हुई है। नए सरकार ने किसानों की पुरानी स्वीकृत साख सीमा को स्वत: ही निरस्त मान लिया है। अब किसान की ऑनलाइन जमाबंदी के आधार पर उसकी लोन की साख (लिमिट) बनाई जाएगी। जिसके लिए ई मित्र पर 25 रुपए शुल्क देकर पंजीयन करवाना होगा। जिसमें आधार, सहकारी बैंक का खाता नंबर, आईएफएससी कोड, राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज जमीन का विवरण, रबी एवं खरीफ में बोई फसल का विवरण, समिति एवं अन्य बैंक व संस्थाओं से लिए ऋण की सूचना दर्ज होगी।
खेती की जमीन है नाम तो ही मिलेगा ऋण
सहकारिता विभाग की ओर से फसली ऋण उस किसान को मिलेगा जिसके नाम खेती की जमीन है। जबकि भाजपा सरकार की ओर से जारी नीति 2018 के तहत खेती करने वाले ग्राम सेवा सहकारी समितियों से जुड़े किसानों को ऋण दिया जाता रहा है। ऐसे में अब यदि पिता के नाम की जमीन पर संतान अलग-अलग खेती करती है तो उन्हें ब्याज मुक्त ऋण नहीं मिल सकेगा। इसके अलावा सबसे बड़ी परेशानी ऑनलाइन दस्तावेजों को लेकर होगी। आधार कार्ड, जमाबंदी और वोटर आईडी में दर्ज नाम में मामूली गडबड़ी होने से पात्रता के बावजूद किसानों को ऋण नहीं मिल पाएगा। इस कारण भी प्रदेश में करीब 13 लाख किसान वंचित रह सकते हैं।
अब यह होगा
सहकारिता विभाग की ओर से जारी आदेश में बताया गया कि नया वितरण ऑनलाइन व्यवस्था के तहत ही होगा। जबकि सहकारिता विभाग की ओर से किसानों की साख सीमा बनी हुई है। नए सरकार ने किसानों की पुरानी स्वीकृत साख सीमा को स्वत: ही निरस्त मान लिया है। अब किसान की ऑनलाइन जमाबंदी के आधार पर उसकी लोन की साख (लिमिट) बनाई जाएगी। जिसके लिए ई मित्र पर 25 रुपए शुल्क देकर पंजीयन करवाना होगा। जिसमें आधार, सहकारी बैंक का खाता नंबर, आईएफएससी कोड, राजस्व रिकॉर्ड में दर्ज जमीन का विवरण, रबी एवं खरीफ में बोई फसल का विवरण, समिति एवं अन्य बैंक व संस्थाओं से लिए ऋण की सूचना दर्ज होगी।
खेती की जमीन है नाम तो ही मिलेगा ऋण
सहकारिता विभाग की ओर से फसली ऋण उस किसान को मिलेगा जिसके नाम खेती की जमीन है। जबकि भाजपा सरकार की ओर से जारी नीति 2018 के तहत खेती करने वाले ग्राम सेवा सहकारी समितियों से जुड़े किसानों को ऋण दिया जाता रहा है। ऐसे में अब यदि पिता के नाम की जमीन पर संतान अलग-अलग खेती करती है तो उन्हें ब्याज मुक्त ऋण नहीं मिल सकेगा। इसके अलावा सबसे बड़ी परेशानी ऑनलाइन दस्तावेजों को लेकर होगी। आधार कार्ड, जमाबंदी और वोटर आईडी में दर्ज नाम में मामूली गडबड़ी होने से पात्रता के बावजूद किसानों को ऋण नहीं मिल पाएगा। इस कारण भी प्रदेश में करीब 13 लाख किसान वंचित रह सकते हैं।
जिम्मेदार कहते हैं
यह सही है कि नई ऋण नीति से किसानों को जो परेशानी आ रही है। उससे मुख्यमंत्री को अवगत करा दिया है। जल्द ही किसानों को इस समस्या से निजात दिलवाई जाएगी।
करणी सिंह सेवदा, अध्यक्ष ब्लॉक कांग्रेस सहकारिता प्रकोष्ट धोद, सीकर
यह सही है कि नई ऋण नीति से किसानों को जो परेशानी आ रही है। उससे मुख्यमंत्री को अवगत करा दिया है। जल्द ही किसानों को इस समस्या से निजात दिलवाई जाएगी।
करणी सिंह सेवदा, अध्यक्ष ब्लॉक कांग्रेस सहकारिता प्रकोष्ट धोद, सीकर