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सीकर

अस्पताल की आय बढ़ाने के लिए जेब पर डाका…?

200 रुपए है तो ही मिलेगा अवकाश का प्रमाण पत्र
कल्याण अस्पताल में अब निजी अस्पताल की तर्ज पर देना होगा शुल्क
सरकार से छूट वाली श्रेणी को ही मिलेगा फायदा

सीकरAug 08, 2021 / 07:06 pm

Puran

  सीकर। गृह जिले में नहीं रहेंगे प्रशासनिक अधिकारी नए आदेश से चिकित्सा विभाग में हडकंप

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सीकर। कोरोना काल में आर्थिक मंदी से जूझ रहे लोगों को शेखावाटी के सबसे बडे कल्याण अस्पताल में निशुल्क उपचार, निशुल्क जांच के लिए जेब ढीली करनी होगी। वजह कल्याण अस्पताल प्रबंधन ने अस्पताल की आय बढाने के लिए चिकित्सा सुविधाओं की दरों में करीब सौ गुना बढोतरी कर दी है। हाल यह है कि अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीज को तीस रुपए की बजाए पचास रुपए देने होंगे। वहीं अस्पताल में स्पीच थैरेपी, फ्रेक्चर होने पर प्लास्टर, आई स्केन बॉयोमेट्री और मेडिकल प्रमाण पत्र के लिए शुल्क देना होगा। जबकि सरकारी अस्पतालों में मरीजों का रुझान बढ़ाने के लिए निशुल्क योजनाओं का लाभ पहुंचाने का दावा किया जा रहा है। अस्पताल स्टॉफ का तर्क है कि जब निजी अस्पतालो के बराबर शुल्क देकर यह सुविधाएं दी जा रही है तो मरीज सरकारी अस्पताल में क्यों आएंगे। वहीं प्रबंधन का तर्क है कि आय की तुलना में खर्च करीब दो गुना हो रही है इस कारण बढोतरी का निर्णय किया गया है। गौरतलब है कि अस्पताल में ओपीडी पर्ची सहित अन्य शुल्क में बरसों पहले बढोतरी हुई थी।
सर्जरी के लिए भी परेशानी

पहले जहां मरीजों को लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, सीआर्म सहित अन्य सामान्य सर्जरी के लिए किसी प्रकार का शुल्क नहीं होता था लेकिन प्रबंधन ने अब उन सुविधाओं को भी शुल्क के दायरे में ला दिया है। अस्पताल में आने वाले सीनियर सिटीजन, बीपीएल, एचआईवी मरीज, कैंसर मरीज, स्वीकृत पैकेज के तहत भर्ती होने वाले मरीज, आशा कार्ड होल्डर, कैदी, विचाराधीन, लावारिस मरीजों को इस शुल्क के दायरे से बाहर रखा है लेकिन अस्पताल में इन श्रेणियों के मरीजों की संख्या बहुत कम होती है। इस संबंध में सात जुलाई को प्रस्ताव लेकर यह आदेश प्रभावी कर दिया गया है।
बेरोजगार और कर्मचारी को नुकसान

सरकारी अस्पतालों में आम आदमी को निजी अस्पतालों की तुलना में नाममात्र के शुल्क पर चिकित्सा सुविधा देने का दावा किया जा हो लेकिन हकीकत यह है कि सरकारी अस्पतालों में दी जाने वाली सुविधाओं को लेकर आय को कभी भी आधार नहीं माना जाता है। इसके बावजूद सरकारी अस्पताल में सुविधाओं के नाम पर शुल्क बढाने से सबसे Óयादा परेशानी बेरोजगार और सरकारी कर्मचारियों को होगी। मरीजों की जांच भी प्रभावित होगी। जबकि इस साल फरवरी से पहले जिला अस्पताल में अवकाश मेडिकल प्रमाण पत्र यह सुविधाएं निशुल्क थी।
इनकी दरों में दोगुना बढोतरी

नौकरी के लिए हेल्थ प्रमाण पत्र के लिए 250 की बजाए 500 रुपए, इंश्योरेंस के लिए प्रमाण पत्र पर सौ की बजाए दो सौ रुपए, आईसीयू बैड के लिए सौ की बजाए दो सौ रुपए, सिंगल डोनर प्लेटलेट के लिए साढे सात हजार की बजाए नौ हजार रुपए, टीएमटी के लिए साढ़े तीन सौ की बजाए 500 रुपए, भर्ती मरीज के नाम परिवर्तन के लिए पचास की बजाए सौ रुपए, ऑडियोमीटर के लिए सौ की बजाए दो सौ रुपए, एबीजी के लिए 350 की बजाए 500 रुपए, व्यायामशाला के लिए 10 की बजाए 50 रुपए, मेडिकल बोर्ड के लिए 500 की बजाए एक हजार रुपए, सिकनेस/ फिटनेस प्रमाण पत्र के लिए 50 रुपए, ओटी में सर्जरी प्रोसिजर के दौरान लोकल एनेस्थिसिया से सर्जरी होने पर पर सौ रुपए, सर्जरी में स्पाइनल एनेस्थिसिया पर दो सौ रुपए, सामान्य एनेस्थिसिया पर तीन सौ रुपए, लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के लिए पांच सौ रुपए और सीआर्म मय ओटी दो सौ रुपए का शुल्क निर्धारित किया गया है।

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