सर्जरी के लिए भी परेशानी पहले जहां मरीजों को लेप्रोस्कोपिक सर्जरी, सीआर्म सहित अन्य सामान्य सर्जरी के लिए किसी प्रकार का शुल्क नहीं होता था लेकिन प्रबंधन ने अब उन सुविधाओं को भी शुल्क के दायरे में ला दिया है। अस्पताल में आने वाले सीनियर सिटीजन, बीपीएल, एचआईवी मरीज, कैंसर मरीज, स्वीकृत पैकेज के तहत भर्ती होने वाले मरीज, आशा कार्ड होल्डर, कैदी, विचाराधीन, लावारिस मरीजों को इस शुल्क के दायरे से बाहर रखा है लेकिन अस्पताल में इन श्रेणियों के मरीजों की संख्या बहुत कम होती है। इस संबंध में सात जुलाई को प्रस्ताव लेकर यह आदेश प्रभावी कर दिया गया है।
बेरोजगार और कर्मचारी को नुकसान सरकारी अस्पतालों में आम आदमी को निजी अस्पतालों की तुलना में नाममात्र के शुल्क पर चिकित्सा सुविधा देने का दावा किया जा हो लेकिन हकीकत यह है कि सरकारी अस्पतालों में दी जाने वाली सुविधाओं को लेकर आय को कभी भी आधार नहीं माना जाता है। इसके बावजूद सरकारी अस्पताल में सुविधाओं के नाम पर शुल्क बढाने से सबसे Óयादा परेशानी बेरोजगार और सरकारी कर्मचारियों को होगी। मरीजों की जांच भी प्रभावित होगी। जबकि इस साल फरवरी से पहले जिला अस्पताल में अवकाश मेडिकल प्रमाण पत्र यह सुविधाएं निशुल्क थी।
इनकी दरों में दोगुना बढोतरी नौकरी के लिए हेल्थ प्रमाण पत्र के लिए 250 की बजाए 500 रुपए, इंश्योरेंस के लिए प्रमाण पत्र पर सौ की बजाए दो सौ रुपए, आईसीयू बैड के लिए सौ की बजाए दो सौ रुपए, सिंगल डोनर प्लेटलेट के लिए साढे सात हजार की बजाए नौ हजार रुपए, टीएमटी के लिए साढ़े तीन सौ की बजाए 500 रुपए, भर्ती मरीज के नाम परिवर्तन के लिए पचास की बजाए सौ रुपए, ऑडियोमीटर के लिए सौ की बजाए दो सौ रुपए, एबीजी के लिए 350 की बजाए 500 रुपए, व्यायामशाला के लिए 10 की बजाए 50 रुपए, मेडिकल बोर्ड के लिए 500 की बजाए एक हजार रुपए, सिकनेस/ फिटनेस प्रमाण पत्र के लिए 50 रुपए, ओटी में सर्जरी प्रोसिजर के दौरान लोकल एनेस्थिसिया से सर्जरी होने पर पर सौ रुपए, सर्जरी में स्पाइनल एनेस्थिसिया पर दो सौ रुपए, सामान्य एनेस्थिसिया पर तीन सौ रुपए, लेप्रोस्कोपिक सर्जरी के लिए पांच सौ रुपए और सीआर्म मय ओटी दो सौ रुपए का शुल्क निर्धारित किया गया है।