रंग खेलकर खींची थी फोटो
युवराज और भागचंद दोनों अक्सर साथ ही रहते थे। दोनों ने धुलंड़ी के दिन थोड़ी देर आपस में रंग भी खेला था। इसके बाद सेल्फी लेकर वापस परीक्षा की तैयारी में जुट गए थे। लेकिन, इनको क्या पता था कि कक्षा 10वीं की परीक्षा देने के बाद वे जिदंगी की परीक्षा में फेल हो जाएंगे।
एक ही चिता पर अंतिम संस्कार
घटना के बाद दोनों मृतकों का अंतिम संस्कार एक ही चिता पर हुआ। इनके चाचा बाबूलाल व सोलाराम ने बताया कि युवराज अपने माता-पिता की इकलौती संतान था। इनके पिता राजेंद्र कुमार अधिवक्ता है। जबकि मृतक भागचंद तीन भाई-बहनों में सबसे छोटा था। भागचंद के पिता गोपालराम विदेश रहते थे। इनकी एक साल पहले मौत हो गई थी।
हादसे के बाद दोनों परिवारों में कोहराम मच गया। सदमे से गांव के लोग भी उभर नहीं पा रहे हैं।