
सीईटी में पैटर्न बदलने का डर
विधानसभा चुनाव में पेपरलीक और नई भर्तियों के मुद्दे खूब गूंजे। नई सरकार से युवाओं को उम्मीदें तो हैं मगर भर्ती पैटर्न को बदलने की चिंता सता रही है। सरकार बनने से पहले ही भाजपा के वरिष्ठ नेताओं तक युवाओं ने अपनी बात पहुंचानी शुरू कर दी है। युवा बेरोजगारों को चिंता है कि नई सरकार यदि घोषणा पत्र के हिसाब से भर्तियां करेगी तो जिन भर्तियों के परिणाम जारी हो चुके हैं उनमें चयनित अभ्यर्थियों का नौकरी का सपना दूर हो सकता है, वहीं तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती के नियम बदलने की मांग फिर से जोर पकड़ने लगी है।
आचार संहिता से ठीक पहले चिकित्सा विभाग की ओर से बोनस अंकों के आधार पर फार्मासिस्ट के 3067, रेडियोग्राफर के 1178, नर्सिंग ऑफिसर के 8750, लैब टेक्निशियन के 2190, नेत्र सहायक के 117, डेंटल टेक्नीशियन के 151, एएनएम 4847 व ईसीजी टेक्निशियन के 246 पदों पर भर्ती की गई थी। भर्ती का प्रोविजनल परिणाम भी जारी हो गया था, लेकिन चयनित अभ्यर्थियों को नौकरी अभी तक नहीं मिली है। ऐसे युवाओं को चिंता है कि यदि नई सरकार भर्ती पैटर्न बदलती है तो चयनित अभ्यर्थियों के लिए मुश्किल होगी।
पिछली सरकार ने दस विभागों में भर्ती के लिए सीनियर सैकंडरी व स्नातक स्तर की सीईटी परीक्षा का आयोजन किया था। सरकार की ओर से दावा किया गया कि इन परीक्षाओं के जरिए एलडीसी, छात्रावास अधीक्षक सहित अन्य रिक्त पदों को भरा जाएगा। इस परीक्षा के जरिए ज्यादातर विभागों में नौकरी नहीं दी गई है। बेरोजगारों को चिंता है कि अब नई सरकार कहीं पैटर्न बदल न दे।
एक्सपर्ट व्यू...
देखा जाए तो अब तक राजस्थान में ज्यादा भर्तियों में सत्ता परिवर्तन के बाद पैटर्न बदला जाता रहा है। तृतीय श्रेणी शिक्षक भर्ती इसका बड़ा उदाहरण है। बेरोजगारों को नई सरकार से अटकी भर्तियों के जल्द अनलॉक होने की उम्मीद है। दूसरी तरफ जिन भर्तियों का परिणाम जारी हो चुका है, लेकिन नियुक्ति नहीं दी गई है। इससे उनसे जुड़े बेरोजगारों में कई तरह की शंकाए भी हैं।
महिपाल सिंह,भर्ती मामलों के एक्सपर्ट
Published on:
08 Dec 2023 12:07 pm
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