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तीन बार सरकारी नौकरी ठुकराकर खेती करने वाले सूंडाराम को पद्मश्री, दुनियाभर में पढ़ चुके हैं 11 शोधपत्र

लगन और मेहनत के बूते सबकुछ संभव है। यह साबित कर दिखाया है दांता कस्बे के प्रगतिशील किसान सूंडाराम वर्मा ने।

सीकरJan 26, 2020 / 01:33 pm

Sachin

तीन बार सरकारी नौकरी ठुकराकर खेती करने वाले सूंडाराम को पद्मश्री, दुनियाभर में पढ़ चुके हैं 11 शोधपत्र

तीन बार सरकारी नौकरी ठुकराकर खेती करने वाले सूंडाराम को पद्मश्री, दुनियाभर में पढ़ चुके हैं 11 शोधपत्र

सीकर. लगन और मेहनत के बूते सबकुछ संभव है। यह साबित कर दिखाया है दांता कस्बे के प्रगतिशील किसान सूंडाराम वर्मा ने। जिनका चयन सरकार ने पद्मश्री अवार्ड के लिए किया है। विज्ञान से स्नातक सुंडाराम ने बताया कि उन्होने विज्ञान के शिक्षक की सरकारी नौकरी को ठुकरा कर दस साल की अथक मेहनत से यह मुकाम हासिल किया है। सीकर, जयपुर, जोधपुर व चूरू में एक लीटर पानी से पौधे उगाने की तकनीक से करीब पचास हजार पौधे लगवाए हैं। उनका कहना है कि उन्हें हाल में एक हैक्टेयर भूमि से 20 लाख लीटर पानी हर साल सहेजने और आदर्श फसल चक्र के निर्माण में तीन साल सात फसले लेकर, कीट प्रबंधन और अधिकतम उत्पादन हासिल करने में सफलता मिली है। पद्म श्री के लिए चयन होने पर भी उन्होंने एक लीटर पानी की तकनीक से रेगिस्तान को हराभरा करने का संदेश दिया।
सर्वोच्च किसान पुरस्कार

सुंडाराम को खेती में सफल प्रयोग के चलते कई अवार्ड मिल चुके हैं। 1997 में राष्ट्रीय अवार्ड के अलावा उन्हें उनकी उपलब्धियों की वजह से 1998 में राष्ट्रीय एजेंसी आईसीएआर के सर्वोच्च पुरस्कार जगजीवनराम किसान पुरस्कार से नवाजा जा चुका है। राज्य व राष्ट्रीय स्तर के वे कुल 16 पुरस्कार हासिल कर चुके हैं। सुंडाराम देश सहित अमेरिया, यूरोप में 11 शोध पत्र पढ़ चुके हैं। वहीं, कृषि जैव विविधता के आधार पर देशी किस्मो का एक बैंक भी तैयार कर चुके हैं। उनकी तकनीक को न केवल राजस्थान सरकार के जल संरक्षण विभाग ने मान्यता प्रदान की है, बल्कि देश के मशहूर कृषि वैज्ञानिक और हरित क्रांति के जनक डॉ. स्वामीनाथन ने भी सराहा है।
जिले के दूसरे पद्म श्री
सुंडाराम वर्मा सीकर जिले के दूसरे पद्म श्री किसान होंगे। इससे पहले जगदीश पारीक को यह पुरस्कार मिल चुका है।

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