कार्यकारी निदेशक ने बताया कि अभी हाल में एनसीएल से एक अनुबंध किया गया है। अनुबंध के तहत गोरबी माइंस में ऐश को डंप किया जा किया जा सकेगा। अभी कुछ अध्ययन चल रहे हैं। जल्द ही यह कवायद शुरू कर दी जाएगी। शुरुआत में सडक़ परिवहन से ऐश गोरबी माइंस में भेजा जाएगा, लेकिन साल भर के भीतर पाइपलाइन बिछाने जैसी दूसरी व्यवस्था कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि प्लांट के आस-पास कोई सीमेंट फैक्ट्री होती तो फ्लाइऐश का वहां इस्तेमाल किया जा सकता था। इस बात को ध्यान में रखते हुए शीर्ष स्तर पर बात की जा रही है कि यहां कोई एक सीमेंट प्लांट स्थापित किया जाए।
प्लांट की ओर से बुलाई गई पत्रकारवार्ता को संबोधित करते हुए कार्यकारी निदेशक ने बताया कि गोरबी माइंस में अगले 10 वर्षों तक ऐश को डंप किया जा सकेगा। उम्मीद है कि इस बीच दूसरे विकल्प तैयार हो जाएंगे। कंपनी में प्रतिवर्ष करीब 70 लाख मैट्रिक टन फ्लाइऐश निकलता है। उन्होंने कंपनी की उपलब्धियों के साथ पिछले एक वर्ष में विभिन्न विभागों की ओर से किए गए सराहनीय कार्यों की जानकारी दी। इस दौरान महाप्रबंधक मानव संसाधन उत्तम लाल, महाप्रबंधक प्रचालन एवं अनुरक्षण सुनील कुमार, महाप्रबंधक वित्त वीरेंद्र मालिक सहित अन्य महाप्रबंधक व विभागाध्यक्ष उपस्थित रहे।
800 मेगावाट की बनेगी दो नईयूनिट
प्लांट की उपलब्धियों को गिनाते हुए कार्यकारी निदेशक ने बताया कि एनटीपीसी के सभी 13 यूनिटों ने मिलकर 90 प्रतिशत फीसदी समय तक कार्य किया है। वित्तीय वर्ष में 37 हजार मिलियन यूनिट बिजली का उत्पादन करते हुए लक्ष्य प्राप्त के बिल्कुल करीब हैं। बिजली उत्पादन में 210 मेगावाट की छह व 500 मेगावाट की सात यूनिट विद्युत उत्पादन का कार्य कर रही हैं। बताया कि प्लांट के पास दो यूनिट संचालित करने के लिए स्थान उपलब्ध है। कोशिश की जा रही है कि 800 मेगावाट की दो और यूनिट शुरू हो सके।
प्रदूषण को दूर करने किए गए पूरे इंतजाम
कार्यकारी निदेशक ने प्लांट से कम से कम प्रदूषण हो, इसके लिए किए गए इंतजामों व भविष्य की योजना पर भी प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि प्लांट में ऐसी तकनीकी का प्रयोग किया जा रहा है कि चिमनियों से नहीं के बराबर धुआं निकले। इसके अलावा उन्होंने पर्यावरण संरक्षण के मद्देनजर किए गए पौधरोपण, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट, सीवरेज प्लांट सहित अन्य व्यवस्थाओं में प्रयोग किए जाने वाले तकनीकी पर प्रकाश डाला। दावा किया कि आने वाले चंद सालों में प्लांट से प्रदूषण शून्य के बराबर हो जाएगा।