इस संबंध में आदिम जाति कल्याण मंत्री मीना सिंह ने बताया कि प्रदेश में वन अधिकार अधिनियम में पूर्व में निरस्त दावों की पुन: समीक्षा करने का निर्णय लिया गया है। इस काम को राज्य सरकार ने सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा है। बताया कि निरस्त दावों का ग्राम, उपखंड और जिला स्तर पर गठित समिति द्वारा निराकरण होगा।
आदिम जाति कल्याण मंत्री ने कहा कि जो आदिवासी लंबे समय से वन भूमि पर काबिज हैं उनके वन भूमि के पट्टे नियमानुसार मान्य किए जाएंगे। मंत्री ने यह भी कहा है कि प्रदेश में पूर्व में निरस्त वनाधिकार दावों का निराकरण अनिवार्य रूप से 15 सितम्बर के पूर्व किया जाएगा। इस संबंध में उन्होंने अधिकारियों को निर्देश जारी कर दिए हैं।
उन्होंने जिलाधिकारियों को वन एवं राजस्व अधिकारियों के साथ मौका मुआयना करने की हिदायत भी दी। बताया कि इंदौर और उज्जैन संभाग में पूर्व में निरस्त दावों में से अब तक 3600 दावें परीक्षण के बाद मान्य किये जा चुके है।
प्रमुख सचिव पल्लवी जैन गोविल ने बताया कि विभाग ने प्रत्येक निरस्त दावे की पुन: समीक्षा के लिये 50 रुपये की राशि मंजूर की है। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि पूर्व में निरस्त दावों का डिजिटलाईजेशन अनिवार्य रूप से किया जाय।