बंदरबाट का यह खेल गरिमा ग्राम विकास समिति के बैनर तले खेला गया। कथित रूप से नगरीय क्षेत्र के युवाओं को विकास से जोडऩे एवं जनजागरुकता के नाम पर संस्था द्वारा रामलीला मैदान में 18 व 19 फरवरी को अखिल भारतीय दंगल (कुश्ती) कराना बताया गया। संस्था पदाधिकारी एडवोकेट अवनीश दुबे द्वारा कुश्ती प्रतियोगिता के आयोजन पर 9 लाख 16 हजार 770 रुपए व्यय होना बताते हुए नगर निगम के समक्ष तीन लाख रुपए रुपए की मदद का प्रस्ताव भेजा गया। एमआईसी की 9 मार्च 2017 को बैठक में प्रस्ताव को मंजूर करते हुए परिषद भेजने का निर्णय किया गया। 30 मार्च को प्रस्ताव क्रमंाक 10 के जरिए प्रस्ताव परिषद में प्रस्तुत किया गया।
गत 27, 28, 29 नवम्बर को आयोजित परिषद के एजेण्डा में उक्त दोनों प्रस्ताव नहीं थे, बावजूद अध्यक्ष द्वारा आश्चर्यजनक तौर पर दोनों प्रस्तावों पर मुहर लगा दी गई।मिनिट्स में स्पष्ट लिखा गया कि प्रस्ताव पर चर्चाउपरांत सहयोग राशि तीन लाख के स्थान पर ५ लाख रुपए भुगतान करने की स्वीकृति पार्षदों के बहुमत के आधार पर प्रदान की जाती है जबकि सर्वसम्मति तो दूर की बात चर्चा तक नहीं की गई। अंदरुनी सूत्रों के अनुसार इन दोनों प्रतियोगिताओं की आड़ में तीन से चार लाख रुपए की आपस में बंदरबाट की गई।
30 मार्च की बैठक में इसे अगली बैठक में रखने का निर्णय किया गया। इसके बाद अगस्त में फिर उक्त प्रस्ताव बिना चर्चाके अगली बैठक के लिए रेफर किया गया। अगस्त में हुई परिषद में भी बिना चर्चा के तीन लाख की सहयोग राशि के इस प्रस्ताव को अगली बैठक में चर्चा के लिए भेजने का निर्णय किया गया। दंगल के अलावा शिवसागर स्मृति ग्रामीण खेल समिति के राज्य स्तरीय कबड्डी प्रतियोगिता के लिए ढाईलाख रुपए की मांग का प्रस्ताव भी था। उक्त संस्था को डेढ़ लाख रुपए सहयोग के नाम पर परिषद द्वारा पहले ही स्वीकृत किया जा चुका था। उसके बाद संस्था की ओर से पुन: ढाईलाख रुपए की मांग का प्रस्ताव निगम को भेजा गया। एमआईसी ने 9 मार्च को चर्चा के बाद ढाई के स्थान पर दो लाख रुपए की स्वीकृति पर मुहर लगाते हुए प्रस्ताव परिषद को भेजा।