आधा दर्जन रूट पर थानों और चौकियों के सामने से गुजरती हैं ओवरलोड बस
फिर भी नहीं होती कार्रवाई ....

सिंगरौली. जिले के आधा दर्जन से अधिक रूट ऐसे हैं, जिन पर ओवरलोड बस थानों और चौकियों के सामने से गुजरती हैं। इसके बावजूद बस संचालकों पर कार्रवाई नहीं है। रूट में बसों की संख्या कम होने से लोग ओवरलोड बसों में बैठने को मजबूर होते हैं। हैरत की बात तो यह रही कि निर्देश के बावजूद शुक्रवार को ज्यादातर थानों के प्रभारी चैन की नींद सोते रहे।
जिले के चितरंगी, माड़ा, सरई, लंघाडोल व छत्तीसगढ़ की सीमा पर बीजपुर के लिए यहां बैढऩ से जाने वाली बसों की संख्या एक या फिर केवल दो है। इन रूट पर बसों की संख्या कम होने के चलते ज्यादातर बसें कुछ किलोमीटर चलने के बाद ही ओवरलोड हो जाती हैं। कभी-कभी तो मजबूर सवारी बस की छत पर और वाहनों में लटकने को मजबूर होते हैं।
हैरत की बात यह है कि ओवरलोड यह बस इन रूट पर वाले कई थानों के सामने से गुजरते हैं, लेकिन कार्रवाई नहीं होती है। स्थिति यह है कि बस स्टैंड से बसें निकलती हैं तो यात्रियों की संख्या कम रहती है लेकिन आधे रास्ते पहुंचते ही धीरे-धीरे करके बसें ओवरलोड हो जाती हैं। इससे दुर्घटना होने की संभावना बनी रहती है। यह कहने में कोई संदेह नहीं है कि इन रुटों पर हर पल खतरा मडऱा रहा है।
जहां बसों की संख्या कम है। अक्सर दुर्घटनाएं भी इन्हीं रुटों पर होती हैं। क्योंकि यह बसें शहर से ग्रामीण क्षेत्र में दूर-दूर तक जाती हैं। वैसे तो जिले में सबसे अधिक बस पलटने की घटनाएं अमिलिया घाटी व चितरंगी मार्ग पर होती हैं लेकिन इसके अलावा भी कई ऐसे रुट हैं जहां केवल एक ही बस का संचालन हो रहा है। इसलिए इन रूटों पर बस हादसे होते रहते हैं।
बसों की संख्या बढ़ाना ही समस्या का समाधान
जिले के ऐसे रुट जहां बसों की संख्या कम है। इन रुटों पर न केवल कार्रवाई करने से बल्कि बसों की संख्या बढ़ाने पर भी समस्या का समाधान निकल सकता है। लंबी दूरी वाले रूटों पर जब एक या दो बसों का संचालन होगा तो जाहिर सी बात है कि बसें ओवरलोड रहेंगी। इस स्थिति में बस सचालक भी कमाई के चक्कर में यात्रियों को ठूस-ठूसकर भर लेते हैं। लेकिन यही लापरवाही भारी पड़ जाती है। इसलिए करीब आधा दर्जन रुटों पर बसों की संख्या बढ़ाने पर दुर्घटनाओं की संभावना कम हो जाएगी।
परमिट किसी और रूट का, चलती हैं कहीं और
जिले में ऐसे बसों की संख्या भी काफी अधिक है, जिनको परमिट किसी और रूट का है और चलती किसी और रूट पर हैं। ज्यादातर बस संचालक मोरवा व बरगवां रूट पर चलना चाहते हैं। यही वजह है कि दूसरे रूट का परमिट लेकर उनकी ओर से मोरवा व बरगवां के रूट पर बस चलाई जाती है। गौरतलब है कि इन रूटों पर भी बसों की संख्या कम है। बैढऩ से बीजपुर, बैढऩ से अंबिकापुर, बैढऩ से लंघाडोल, बैढऩ से निगरी व बैढऩ से चितरंगी रूट पर परमिट कई बसों का है, लेकिन चलती एक या दो बसें ही हैं।
अब पाइए अपने शहर ( Singrauli News in Hindi) सबसे पहले पत्रिका वेबसाइट पर | Hindi News अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें Patrika Hindi News App, Hindi Samachar की ताज़ा खबरें हिदी में अपडेट पाने के लिए लाइक करें Patrika फेसबुक पेज