तेज गर्मी से बचने के लिए लोग जहां घरों में एसी व कूलरों का सहारा ले रहे हैं। वहीं जिला अस्पताल में भर्ती मरीजों को अब भी गर्मी से जूझना पड़ रहा है। यहां लगे कूलर मात्र दिखावा साबित हो रहे हैं। मरीज गर्मी से व्याकुल हो रहे हैं लेकिन उन पर ध्यान देने वाला कोई नहीं है। दरअसल जिला अस्पताल के वार्डों में लगे ज्यादातर कूलर वर्षों पुराने हैं। नतीजा कभी किसी का मोटर पंप खराब रहता है तो कभी पंखा जला मिलता है।
जिला अस्पताल में दिनभर गर्मी से परेशान मरीज रात को अस्पताल परिसर में घूमकर गर्मी से राहत पाने की कोशिश करते नजर आते हैं। अप्रेल माह में जिस प्रकार गर्मी पड़ रही है। इस स्थिति में केवल पंखे के काम नहीं चल रहा है। पंखों की हवा मरीजों को लू की तरह लग रही है। दिन और रात मरीजों का कैसे गुजरता है, इसका अंदाजा अस्पताल में हालात को देखने वाले सहज ही महसूस कर लेते हैं, लेकिन चिकित्सा अधिकारियों को उन पर कोईरहम नहीं आ रहा है।
जिला अस्पताल में रोजाना सैकड़ों की संख्या में लोगों को आना जाना लगा रहता है। इन दिनों अस्पताल में औसतन 15० लोग इलाज के लिए आते हैं। वहीं जिला अस्पताल में दर्जनों की संख्या में मरीज वार्डों में भर्ती होते हैं। वैसे तो वार्डों में कूलर लगाया गया है, लेकिन आवश्यकता के मद्देनजर उनकी संख्या काफी कम है। ज्यादातर वार्डों में चार कूलरों की आवश्यकता है, लेकिन दो बेहतर कूलर भी उपलब्ध नहीं है। नतीजा प्रसव वार्ड व एनआरसी में प्रसूता व मासूमों का हाल बेहाल है।
इधर अस्पताल में भर्तीमरीजों और उनके तीमारदारों को गले में भी समस्या का सामना करना पड़ रहा है। गर्मी बढऩे पर बच्चों से लेकर बड़े तक राहत पाने ठंडा पेय पदार्थ उपयोग में ले रहे हैं। ऐसे में गले में इंफेक्शन बढ़ रहा है। मरीजों ने चिकित्सकों की इसकी शिकायत भी की है। इसके आलावा बाहर के मरीजों की संख्या में भी बढ़ोतरी हुई हैं। डॉक्टरों का कहना है कि गर्मी से राहत पाने लोग धूप से आते ही ठंडे पानी पी रहे हैं। इससे उनके गले में दिक्कतें हो रही हैं।