पुलिस सूत्रों की मानें तो वारदात को अंजाम देने शातिरों का वर्तमान में कोई रिकार्ड नहीं है। वारदातों में शामिल होने वाले किशोरों को खुद नहीं पता होता कि वो कितना बड़ा अपराध कर रहे हंै। इन्हें सिर्फ पैसों से मतलब होता है। वारदात को अंजाम देने के बाद जब ये हद से ज्यादा पैसे खर्च करते हैं। तो मुखबिरों की सूचना पर पुलिस इनसे पूछताछ करती है और उसके बाद कई बड़े खुलासे होते है। सिंगरौली पुलिस ने हाल ही में लूट, चोरी, बलात्कार के बड़ी वारदातों में नाबालिगों को भी पकड़ा है।
पुलिस जब नाबालिग को गिरफ्तार कर किसी घटना का खुलासा करती है तो उसमें यह दर्शाया जाता है कि मंहगे शौक को पूरा करने के लिए चोरी की वारदात को अंजाम दे रहा था। वहीं ज्यादातर बुरी संगत के चलते ऐसा कदत उठाते हैं।
सासन चौकी क्षेत्र के शिवपहरी में गत महीने एक महिला के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या के मामले में एक नाबालिग आरोपी को पुलिस ने पकड़ा था। पुलिस की पूछताछ में नाबालिग ने जुर्म करना कबूल किया। पुलिस ने नाबालिग अपचारी को सुधार गृह भेज दिया था।
केस-दो
कोतवाली पुलिस ने 25 जुलाई को एक नाबालिग को गिरफ्तार कर चोरी की बाइक बरामद कर लिया है। बाल अपचारी को पुलिस ने सुधार गृह भेजा है। पुलिस ने बताया कि बाल अपचारी चोरी के कई वारदात को अंजाम दे चुका है।
वर्ष नाबालिग आरोपी
2016 23
2017 28
2018 32
2019(जून) 21 समाज व परिवार लगाए रोक
चार परिस्थितियों में बच्चे अपराध करते हैं। पहले जो स्कूल नहीं गए या जिन पर परिजनों का कंट्रोल नहीं है। दूसरे जो कम उम्र में बुरी लत के शिकार हो गए। तीसरा एंटी सोशल पर्सनालिटी यानी उनमें ऐसा करने के लक्षण पहले से मौजूद है। चौथा वे जो आधुनिकता की दौड़ में खुद को कमजोर समझते हैं। इन्हें समाज और परिवार ही रोक सकता है।
डॉ. आशीष पाण्डेय, मनोचिकित्सक जिला अस्पताल सिंगरौली।