जी हां, हम बात कर रहे हैं पोषण स्मार्ट विलेज की। महिला एवं बाल विभाग की ओर से करीब तीन साल पहले शुरू हुई योजना के तहत जिलेभर में पांच गांवों को पोषण स्मार्ट विलेज बनाया गया है। इन गांवों में महिला एवं बाल विकास, कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन, पीएचई व वन विभाग को मिलकर पोषण स्मार्ट विलेज के लिए चिह्नित गांवों में प्रोजेक्ट तैयार कर ग्रामीणों को कई बिंदुओं पर जानकारी देते हुए गांवों को कुपोषणमुक्त करना था लेकिन ऐसा कुछ भी नहीं हुआ है। सभी विभाग के अफसरों ने कागजी खानापूर्ति करके योजना को पलीता लगाया है। इसमें सबसे बड़ी लापरवाही महिला एवं बाल विकास विभाग की है।
पोषित उत्पादन पर नहीं दिया जोर
कई विभागों के सामूहिक प्रयास से चिह्नित गांवों में पोषित उत्पादन पर जोर देकर कुपोषण को दूर करना था। गांवों में प्रोटीन व विटामिन वाली सब्जियां व फलदार पौधे लगाकर पोषणयुक्त बनाना था। साथ ही गांव में कई तरह की गतिविधियों के तहत जन जागरूकता फैलाने पर जोर दिया जाना था।
कई विभागों के सामूहिक प्रयास से चिह्नित गांवों में पोषित उत्पादन पर जोर देकर कुपोषण को दूर करना था। गांवों में प्रोटीन व विटामिन वाली सब्जियां व फलदार पौधे लगाकर पोषणयुक्त बनाना था। साथ ही गांव में कई तरह की गतिविधियों के तहत जन जागरूकता फैलाने पर जोर दिया जाना था।
...और इसलिए दूर नहीं हो रहा कुपोषण
बतादें कि जब यह योजना शुरू हुई थी। उस समय विभाग के अधिकारी कागजी खानापूर्ति में जुटे थे। अब योजना को बंद होने का हवाला दे रहे हैं। ऐसे में जिला कुपोषणमुक्त कैसे होगा। यह संबंधित विभाग के अफसर ही जान पाएंगे। पोषण स्मार्ट वाले गांव के मासूम बच्चे कुपोषण की जद में है। अफसरों की लापरवाही का नतीजा यह कि कुपोषण दूर नहीं हो रहा है।
बतादें कि जब यह योजना शुरू हुई थी। उस समय विभाग के अधिकारी कागजी खानापूर्ति में जुटे थे। अब योजना को बंद होने का हवाला दे रहे हैं। ऐसे में जिला कुपोषणमुक्त कैसे होगा। यह संबंधित विभाग के अफसर ही जान पाएंगे। पोषण स्मार्ट वाले गांव के मासूम बच्चे कुपोषण की जद में है। अफसरों की लापरवाही का नतीजा यह कि कुपोषण दूर नहीं हो रहा है।
योजनाओं के बारे में अधिकारी अनजान
हैरान करने वाली बात यह है कि जिले में कुछ ऐसे भी परियोजना अधिकारी मौजूद हैं। जिन्हें संचालित योजनाओं के बारे मेंं पता भी नहीं है। इस बात से यह साबित होता है कि जब अधिकारियों को योजनाओं का पता ही नहीं है तो धरातल पर इसका संचालन कैसे होगा।
हैरान करने वाली बात यह है कि जिले में कुछ ऐसे भी परियोजना अधिकारी मौजूद हैं। जिन्हें संचालित योजनाओं के बारे मेंं पता भी नहीं है। इस बात से यह साबित होता है कि जब अधिकारियों को योजनाओं का पता ही नहीं है तो धरातल पर इसका संचालन कैसे होगा।
ये गांव बने हैं पोषण स्मार्ट
परियोजना गांव
बैढऩ ग्रामीण -1 बरहपान
बैढऩ ग्रामीण -2 नगवा
चितरंगी क्रमांक -1 बैरदह
चितरंगी क्रमांक -2 झोको
देवसर डगा
परियोजना गांव
बैढऩ ग्रामीण -1 बरहपान
बैढऩ ग्रामीण -2 नगवा
चितरंगी क्रमांक -1 बैरदह
चितरंगी क्रमांक -2 झोको
देवसर डगा