स्काउट एंड गाइड की गतिविधियों को संचालित करने के लिए बच्चों से ली जाने वाली फीस में एक मद के रूप में एक निश्चित रकम ली जाती है और इसी से पूरे वर्ष भर छात्र-छात्राओं के लिए शिविर और प्रशिक्षण जैसी अन्य गतिविधियां आयोजित किए जाने का निर्देश है। कोरोना आपदा के मद्देनजर पिछले डेढ़ वर्षों से हकीकत में स्काउट एंड गाइड की गतिविधियां नहीं के बराबर हुई हैं लेकिन कागजों में ढेरों गतिविधियां दर्शायी जा रही हैं। यही वजह है कि छात्रों से मिली रकम कम पड़ गई है और शिक्षा अधिकारियों को कंपनियों की शरण लेनी पड़ी है।
एक अस्पताल ऐसा भी जहां अटेंडर को बनाना पड़ता है टॉयलेट का दरवाजा शिक्षा अधिकारी पर भी उठ रहे सवाल स्काउट एंड गाइड के तहत सालभर के दौरान संचालित गतिविधियां व इसमें हो रहे खर्च को लेकर डीइओ आरपी पाण्डेय को जिम्मेदार बताया गया है। स्काउट एंड गाइड के अध्यक्ष ने बताया कि जो गतिविधियां कराने के लिए आता है उसका संचालन जिले में कराया जाता है लेकिन गतिविधियों में हो रहे खर्च का जिम्मा जिला शिक्षा अधिकारी को है। अध्यक्ष का यह तर्क डीइओ की कार्यशैली पर भी प्रश्नचिन्ह लगा रहा है।
शादी के लिए जा रही लड़कीवालों की बस पलटी, एक दर्जन यात्री घायल जिले में पंजीकृत दल की जानकारी नहीं स्काउट एंड गाइड के पंजीकृत दल की संख्या जिले में कितनी है। इसकी सही जानकारी अध्यक्ष व सचिव को नहीं है। दोनों के जवाब में अंतर देखने को मिला है। पूछने पर स्काउट एंड गाइड के अध्यक्ष ने जिले भर में 165 दल पंजीकृत होना बताया है। वहीं सचिव सर्वेश द्विवेदी ने बताया कि जिले में स्काउट एंड गाइड के 144 दल पंजीकृत हैं। गौर करने वाली बात है कि जिले में स्काउट एंड गाइड के नाम खर्च हो रहे बजट में अध्यक्ष व सचिव सहित शिक्षा अधिकारी की भूमिका महत्वपूर्ण है।