बता दें कि 10 अप्रेल को सिंगरौली के सासन स्थित रिलायंस पॉवर प्लांट का फ्लाइ ऐश डैम टूट गया था। इस घटना में तीन बच्चे और तीन अन्य व्यक्ति राख के मलबे में दफन हो गए थे और कई दिनों बाद उनकी लाश मिली थी। इसके अलावा घरों व फसल को भी भारी क्षति पहुंची थी। इस मामले में सिंगरौली प्रशासन ने नोटिस दिए जाने के बाद भी सासन पॉवर प्रबंधन के खिलाफ किसी तरह की दंडात्मक कार्रवाई नहीं की है। इस मामले को सुप्रीम कोर्ट के एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड अश्वनी दुबे ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग में याचिका दाखिल कर कार्रवाई का आग्रह किया था। मामले की सुनवाई करते हुए आयोग ने सिंगरौली प्रशासन के प्रति कड़ा रुख अपनाया है। याचिकाकर्ता ने आयोग को बताया कि फ्लाइ ऐश डैम की जर्जर हालत के बारे में जिला प्रशासन ने सासन पॉवर को नोटिस भेजा था। इसके बाद भी मरम्मत का काम नहीं कराया गया। याचिका में सासन पॉवर के सीइओ और प्रबंधन की लापरवाही का मुद्दा उठाते हुए बताया गया कि एक साल में तीन बार घटना होने के बाद भी प्रशासन ने कोई कार्रवाई नहीं की, जिसकी वजह से 6 बेगुनाहों की जान गई।
आयोग ने पूछा अब तक क्या कार्रवाई हुई राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने शोकॉज नोटिस के जरिए तीनों जिम्मेदारों से यह जानना चाहा है कि अब तक उनकी ओर से इन मामले में क्या कार्रवाई की गई है। कंपनी के जिम्मेदार अधिकारियों पर अभी एफआइआर तक नहीं दर्ज किए जाने संबंधित अधिवक्ता की शिकायत को संंज्ञान में लेते हुए आयोग ने यह भी पूछा है कि एफआइआर क्यों नहीं हुई है। आयोग ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 18 जुलाई की तारीख तय की है। इसी तारीख तक रिलायंस के सीएमडी, केंद्रीय ऊर्जा सचिव और पुलिस अधीक्षक सिंगरौली टीके विद्यार्थी को जवाब भी देना है।
जांच में उलझाई एफआइआर
इधर, प्रशासन ने कंपनी के अधिकारियों पर एफआइआर दर्ज कराने की जरूरत नहीं समझी है। जबकि पूर्व में कलेक्टर की ओर जारी नोटिस में स्पष्ट किया गया है कि ऐश डैम के रखरखाव में कंपनी के अधिकारियों की लापरवाही सामने आई है। प्रशासन मजिस्ट्रियल जांच पूरी होने के बाद आगे की कार्रवाई करने का हवाला दे रहा है। कलेक्टर ने मामले की जांच अपर कलेक्टर को सौंपी है।