इस स्थाई समस्या को छोड़ दें तो अस्थाई चुनौती इन बूथों पर लोकसभा चुनाव के लिए मतदान कराना है। संचार के किसी भी नेटवर्क से नहीं जुड़े होने के कारण इन बूथों पर मतदान कराना भी बड़ी चुनौतीं है। संचार सुविधा नहीं होने के कारण प्रशासन को इन बूथों पर अस्थाई नेटवर्क के लिए निजी संचार कंपनियों का सहारा लेना पड़ रहा है।
लोकसभा चुनाव के लिए मतदान की तैयारी के दौरान पाया गया कि जिले के ७९ बूथ पर संचार की कोई व्यवस्था नहीं है। ये बूथ अब तक किसी भी नेटवर्क की कनेक्टिविटी से नहीं जुड़ पाए हैं। इनमें से ५१ बूथ चितरंगी तहसील में तथा २८ देवसर तहसील में हैं। देवसर तहसील के कनेक्टिविटी विहीन अधिकतर बूथ गांव लंघाडोल व इसके आसपास स्थित हैं।
51 बूथ पहाड़ी व दूरदराज में दुर्गम क्षेत्र के हैं। बताया गया कि चितरंगी तहसील में इन बूथ वाले इलाके तक पहुंचना किसी भी संचार कंपनी के लिए बड़ी लागत का काम है। इसलिए अब तक किसी भी कंपनी ने वहां अपना नेटवर्क स्थापित नहीं किया है। इस कारण ये क्षेत्र आज तक संचार सुविधा से नहीं जुड़ पाए हैं।
अब जिला प्रशासन को इन सभी बूथों पर 29 अपे्रल को लोकसभा चुनाव के लिए मतदान कराना है। मतदान के दौरान पूरे दिन इन बूथों से लेकर जिला मुख्यालय व यहां से भोपाल और चुनाव आयोग दिल्ली तक जरूरी सूचनाओं का आदान-प्रदान होना है। इसलिए प्रशासन की ओर से सभी बूथों पर संचार व्यवस्था के लिए निजी कंपनियों का सहारा लेना पड़ रहा है। बताया गया कि प्रशासन के आदेश पर देवसर तहसील के गांवों में एक निजी कंपनी मतदान वाले दिन अपने नेटवर्क की अस्थाई सुविधा उपलब्ध कराने पर सहमत हुई है। इसके तहत निजी कंपनी ने देवसर तहसील मेें लंघाडोल व इसके आसपास के गांवों में नेटवर्क के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी।
चुनाव से जुड़े प्रशासनिक सूत्रों का मानना है कि निजी कंपनी की इस अस्थाई व्यवस्था पर अधिक भरोसा नहीं कर सकते। इस प्रकार पाया गया कि मतदान से पहले देवसर तहसील में संचार की अस्थाई व्यवस्था हो जाने के बाद भी संकट पूरी तरह नहीं टला। इसके विपरीत चितरंगी तहसील का मामला अब तक अनसुलझा है। मतदान के दिन इन बूथों से सूचनाएं आदान-प्रदान के लिए प्रशासन की ओर से किसी अन्य सेवा के विकल्प पर विचार हो रहा है।