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सिंगरौली

चमत्कार से कम नहीं यह कहानी, 7 साल का बिछड़ा हुआ बच्चा 6 साल बाद कैसे मिला, कहानी पढक़र आंखों से छलक जाएंगे आंसू

घर पहुंचने की मंशा 7 साल बाद एक सेकंड में पूरी हो गई….

सिंगरौलीJan 13, 2019 / 04:41 pm

Ajeet shukla

Lost child found in Singrauli six years ago in Punjab and Lucknow

Lost child found in Singrauli six years ago in Punjab and Lucknow

सिंगरौली. वर्षों बाद अगर आपके घर का बिछड़ा हुआ बच्चा अचानक से मिल जाए तो कुछ देर के लिए धरती पर आपके पैर रूक जाएंगे। क्योंकि जिसको आप भूल चुके थे आने की कोई उम्मीद नहीं थी। कारण 7 साल का खोया हुआ बच्चा 6 साल बाद कैसे मिल सकता है। जिस समय मासूम गुम हुआ था उस वक्त उसकी उम्र महज 7 वर्ष थी यानी कि वह वर्ष 2013 में खो गया था। अब उसका चेहरा भी पूर्ण रूपेण बदल चुका था और उम्र 2019 में 13 वर्ष हो रही थी।
घर के सदस्य और स्वयं बिछड़ा हुआ बच्चा घर आने की उम्मीद खो चुके थे। लेकिन मासूम किशोर अवस्था में आने के बाद भी लगातार घर आने की लालसा में लगा हुआ था। फिर उसके साथ एक दिन ऐसा करिश्मा हुआ कि वह भी कुछ नहीं समझ पाया और घर पहुंचने की मंशा 7 साल बाद एक सेकंड में पूरी हो गई। ये कहानी मध्यप्रदेश के सिंगरौली जिले के मोरवा थाना क्षेत्र के जगमोरवा निवासी विमल प्रसाद बसोर की है। जिसने भी इस मासूम के बिछडऩे की कहानी सुनी सबके आंखों में आंसू भर आए। सबके मुख में एक ही नाम ईश्वर ने ही कोई चमत्कार किया है। कहा भी गया है जाके राखे साईयां मार सके न कोय।
ये है पूरी कहानी
बता दें किए 29 मार्च 2013 को मोरवा थाना क्षेत्र के जगमोरवा निवासी विमल प्रसाद बसोर उर्फ मझिला सात वर्ष का मासूम घूमते-घूमते अचानक से शक्तिपुंज एक्सप्रेस में बैठकर सो गया। जब आंख खुली तो उसने अपने आप को किसी अनजान स्टेशन पर पाया। मासूम बालक समझ ही नहीं पाया कि वह कहां पहुंच गया है और वह करे भी तो क्या करे। इसलिए वह ट्रेन बदल-बदल कर पंजाब के फिरोजपुर पहुंच गया। जहां कुछ दिन तक फुटपाथ में मांग कर खाने के बाद किसी सिख परिवार ने उसे अपने यहां काम दे दिया।
जारी रही घर की तलाश
करीब डेढ़ वर्षों तक फिरोजपुर में ही काम करने के बाद उसने दोबारा घर ढूंढने की सोची। इस बार पुनरू ट्रेन पकड़ कर वह फिरोजपुर से लखनऊ आ गया। घर का पता याद नहीं होने के कारण वह लखनऊ में ही काम तलाश कर किसी तरह अपना गुजर बसर करता रहा। इस बीच उसके दिमाग से घर की यादें खोती जा रही थी। इतने सालों में मझिला के मां बाप ने अब बेटे से मिलने की आस लगभग छोड़़ दी थी।
मोरवा थाने में गुमशुदी का मामला दर्ज
इस मामले में थाना मोरवा में दर्ज गुमशुदा इंसान 15/13 की जांच का जिम्मा निरीक्षक नरेंद्र सिंह रघुवंशी द्वारा उप निरीक्षक एमडी आर्य को सौंपा गया। उप निरीक्षक आर्य परिवार से इस विषय में पूछताछ कर ही रहे थे कि तभी किसी चमत्कार की तरह लखनऊ से फोन आया की मझिला मिल गया है।
मझिला की मौसी ने देखकर पहचान लिया
दरअसल लखनऊ में रह रही मझिला की मौसी ने एक दिन उसे देखकर पहचान लिया। लेकिन इतने वर्ष बीत जाने के बाद अब 13 साल की उम्र में बालक को कुछ याद नहीं था। जिस पर बचपन की तस्वीरों को दिखा कर उसकी धुंधली यादों को ताजा किया गया। अपने मां-बाप को पहचानने के बाद मासूम ने अपने बिछड़े परिवार का दामन थामा तो उस समय मौजूद हर किसी की आंखों से आंसू छलक गए। परिवार में अब सभी खुश हैं और कहानी पूरे गांव में चर्चा का विषय बनी हुई है।

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