बैढऩ से करीब सात किमी. दूर छोटे से गांव जमुआ की बेटी पुष्पा शाह ने प्रदेश में जिले का नाम रोशन किया है। पुष्पा हाई स्कूल की परीक्षा में प्रदेश की मैरिट सूची में दसवें स्थान पर जगह बनाने में सफल हुई हैं। पुष्पा शाह शुरु से ही पढ़ाई में अच्छे अंक लाती रही हैं। हर कक्षा में उनका प्रथम स्थान ही आता रहा है। पढ़ाई के प्रति बच्ची की लगन को देखकर माता पिता ने भी बखूबी साथ दिया। पुष्पा शाह के पिता जोगेन्द्र शाह कोई सरकारी या प्राइवेट नौकरी में नहीं हैं और नहीं कोई बड़े जमीदार। अपना खुद का छोटा सा सब्जी का व्यवसाय है। उससे जो आमदनी हो जाती है, उनका घर परिवार चलता है। पुष्पा की मॉ घर पर ही काम करती हैं। एक बेटी और एक बेटा है। बेटी पुष्पा शाह बड़ी है। बेटी की सफलता से माता – पिता काफी गदगद हैं।
पुष्पा शाह अन्य बच्चियों को भी पढ़ाई करने का संदेश देती है। वे कहती है कि हमारे माता – पिता ने पढ़ाई के लिए हमें प्रोत्साहित किया। पढ़ाई के अलावा अन्य कोई भी कार्य हमसे नहीं कराते थे। बताती हैं कि खाली समय में सिलाई बुनाई कर कुछ सीखने का प्रयास करती हूॅ लेकिन मेरा उद्देश्य पढ़ाई करना ही है। बताया कि हमें इतना तो भरोसा था कि जिले में स्थान बना लूंगी लेकिन प्रदेश के लिए नहीं। हमारे गुरुजनों ने हमें यह भरोसा दिलाया की तुम प्रदेश में स्थान बना सकती हो। इसके बाद मैने भी अच्छी तैयारी की और सफल हुए।
पुष्पा शाह बताती हैं कि उन्हें अंग्रेजी में अक्सर कम नंबर मिलते रहे हैं। ९० अंक से ज्यादा नहीं मिला। ऐसे में प्रदेश की मैरिट में नाम आने में थोड़ा संसय था लेकिन इस बार अंग्रेजी में अच्छे अंक (९७) मिले। जिसकी वजह से प्रदेश की मैरिट लिस्ट में स्थान बनाने में सफल हुई। कहती हैं कि नियमित रूप से पढ़ाई कर सफलता अर्जित की जा सकती है। वह सुबह पांच बजे जगकर पढ़ाई करती थी। रात में १० बजे तक। आगे चलकर मैथ विषय से पढ़ाई करना चाहती है।
हर माता – पिता का यह सपना होता है कि वह भले ही नहीं पढ़ पाया हो लेकिन बच्चों को अच्छी तरह से पढ़ाएगा। ऐसा ही २० वर्ष पहले बनारस से सिंगरौली आकर अपना व्यापार करने वाले राजनारायण गोड़ भी कर रहे हैं। राजनारायण गोड़ के चार बच्चों में सबसे छोटी बच्ची शिवानी ने कमाल कर दिया। सरस्वती उच्चतर माध्यमिक विद्यालय विंध्यनगर की छात्रा शिवानी ने दसवीं कक्षा में प्रदेश की मैरिट सूची में नौवां स्थान बनाया है। राजनारायण कहते हैं कि उनके चार बच्चों में सभी पढ़ाई में अच्छे रहे लेकिन सबसे छोटी बच्ची शिवानी उन्हें भी पीछे छोड़ दिया। शिवानी की सफलता से पूरे परिवार में खुशी का माहौल है।
वैसे तो इस सफलता का श्रेय शिवानी को ही जाता है जिन्होंने कड़ी मेहनत कर इस मुकाम तक पहुंची हैं, लेकिन वे अपनी इस सफलता के लिए गुरुजनों के साथ ही माता – पिता को भी श्रेय दे रही हैं। कहतीं है कि मॉ बेला देवी प्रतिदिन सुबह जगाती थी। सुबह ५.३० बजे तक जग जाती। शिवानी कहती हैं कि उनकी देर रात तक पढऩे की भी आदत है। रात ११.३० तक पढ़ाई करती थीं।
शिवानी कहती हैं कि पढ़ाई के लिए जो भी जरूरत होती उसे पिता उपलब्ध कराते। पढ़ाई में कोई दिक्कत न हो इसका पूरा ख्याल रखते। बताती हैं कि बड़े भाई एवं बहन से प्रेरणा मिली। उनकी प्रेरणा से ही हम सफल हुए और हमारा प्रदेश की मैरिट सूची में नाम आया।
राजनारायण गोड़ मूलत: बनारस के रहने वाले हैं। करीब २० वर्ष पहले वे सिंगरौली आए और यहीं अलमारी सहित अन्य सामग्री बनाते हैं। उसी की दुकान भी है और बनाते भी हैं। अब यहीं पर विंध्यनगर में ढोंटी के पास घर भी बन गया है। अब यहीं परिवार के साथ रहते हैं।
शिवानी ने कुल ४८७ अंक प्राप्त किए हैं। गणित में उनका १०० में उन्हें १०० अंक मिले हैं। हिन्दी में ९६, अंग्रेजी में ९३,संस्कृत में ९८, साइंस में ९९ एवं सोसल साइंस में ९४ अंक प्राप्त किया है।
४८६ अंको के साथ अभिषेक बैस ने प्रदेश की मैरिट सूची में दसवां स्थान बनाया है। अभिषेक की इस सफलता से उसके माता – पिता काफी प्रोत्साहित हैं। अभिषेक शुरू से ही पढ़ाई में अव्वल रहा है। हर कक्षा में उसके अच्छे अंक आते रहे हैं। प्रदेश की मैरिट सूची में नाम आने से अभिषेक के गुरुजनों ने बधाई दी है। अभिषेक जिले का एकलौता छात्र है जो प्रदेश की मैरिट सूची में स्थान बनाने में सफल रहा।
हायर सेकण्डरी स्कूल में जिले की स्थिति बहुत अच्छी तो नहीं है लेकिन संतोष जनक है। प्रदेश में जिला ६२.७६ अंको के साथ ३२ वें स्थान पर है। विंध्य में ६३.६३ के साथ सतना प्रदेश में २८ नंबर पर है। जो सिंगरौली से उपर है। सीधी ५६.११ फीसदी के साथ प्रदेश में ४० वें नंबर पर है। रीवा की हालत ज्यादा खराब है। रीवा ४९.४८ फीसदी के साथ प्रदेश में ४५ वें नंबर पर है। विंध्य में सबसे नीचे रीवा ही है।