एनजीटी की ओर से जारी आदेश के मुताबिक सिंगरौली और उत्तर प्रदेश का पड़ोसी जिला सोनभद्र यहां की कोयला व विद्युत परियोजनाओं से प्रदूषित हो रहा है। एनजीटी की दिल्ली स्थित प्रधान पीठ ने मामले की सुनवाई के बाद मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 56 करोड़ आठ लाख पचास हजार और उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को 23 करोड़ 14 लाख 80 हजार रुपए वसूलने को कहा है। साथ ही पर्यावरण संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण के लिए निगरानी बरतने का भी निर्देश दिया गया है।
पहली बार ऐसा हुआ है, जब एनजीटी ने प्रदूषण नियंत्रण के लिए प्रभावी कदम नहीं उठाने पर परियोजनावार जिम्मेदार ठहराते हुए जुर्माना लगाया है। वर्ष 2013 में सोनभद्र के जगतनारायण विश्वकर्मा और सिंगरौली निवासी सर्वोच्च न्यायालय के अधिवक्ता अश्वनी दूबे ने एनजीटी में याचिका दाखिल कर सिंगरौली व सोनभद्र में व्याप्त प्रदूषण के नियंत्रण के लिए जरूरी कदम उठाने के लिए कंपनियों को निर्देश दिए जाने की मांग की थी।
प्रदूषण के लिए जिम्मेदार ठहराते हुए जुर्माना करने की अपील की थी। वर्ष 2014 में एनजीटी के निर्देश पर कोर कमेटी ने यहां के हालात का विस्तृत अध्ययन किया और अगस्त 2015 में इसकी रिपोर्ट एनजीटी को सौंप दी। दिसंबर 2017 में एनजीटी ने याचिका को निर्णित करते हुए मध्यप्रदेश व उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जरूरी कदम उठाने के निर्देश दिए गए थे। इस मामले में एनजीटी ने अब यह दोनों राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को जुर्माना वसूलने का निर्देश दिया है।
बताया गया कि 11 अक्टूबर को एनजीटी के प्रधान बेंच में सुनवाई हुई। सभी पक्षों को सुनने के बाद चेयरपर्सन न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली तीन सदस्यीय पीठ ने यह निर्देश दिया है। जारी निर्देश के मुताबिक जुर्माने की जद में एनसीएल की कई परियोजनाओं के साथ एस्सार पॉवर, सासर पावर लिमिटेड, एनटीपीसी विंध्याचल व एनटीपीसी थर्मल पॉवर शक्तिनगर सोनभद्र सहित अन्य उत्तर प्रदेश की अन्य कई कंपनियां शामिल हैं।